SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 53
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आरती जय जगदीश हरे ! भक्त जनोंके संकट छिन में दूर करे ओम् जय जगदीश हरे! जो ध्यावे फल पावे, दुख विनसे मन का सुख संपति गृह आवे, कष्ट मिटे तन का। मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ किसकी, तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी-जय... ॥१॥ तुम पूरन परमात्मा, तुम अन्तरयामी पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी। तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता मैं मूरख, खल, कामी, कृपा करो भर्ता- जय... ॥२॥ तुम हो एक अगोचर, सबके प्राण-पति किस विध मिलूँ गुसाईं, तुमको मैं कुमति। दीन-बन्धु दुख-हरता, ठाकुर तुम मेरे अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़े तेरे।। विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा- जय... ॥३॥ 52
SR No.002329
Book TitleNaman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhuban Educational Books
PublisherMadhuban Educational Books
Publication Year
Total Pages58
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy