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________________ चरित्र के शिखर पर पहुंचने का रहस्य ध्यानलीनता, आत्मलीनता और चरणलीनता __ पर टिका है चरित्र विकास का सर्वोच्च चरित्रलीनता के शिखर पर पहुंचने वाले ध्यान की पृष्ठभूमिः इस्लाम धर्म की एक कथा है। अबु इस्हाक इब्राहीम खवास एक ध्यानी और तपस्वी संत हो गए हैं। वे एक बार अपने शिष्य के साथ एक पेड़ के नीचे नमाज पढ़ रहे थे कि सहसा एक सिंह उनके पास आ गया। शिष्य तो पड़ पर चढ़ गया, लेकिन संत पर उसका कोई असर नहीं हुआ। वे शांत मुद्रा में प्रभु का ध्यान करते रहे। सिंह काफी देर तक उनकी आंखों में अपनी आंखें डालकर उन्हें घूरता रहा, लेकिन आखिरकार वह चुपचाप चला गया। शिष्य पेड़ से नीचे उतर गया। तब दोनों बस्ती में लौट गए। दूसरे दिन गुरु शिष्य फिर उसी जंगल में नमाज पढ़ कर लौट रहे थे, तभी मार्ग में एक मच्छर संत के कान के पास गुनगुनाता हुआ मंडराने लगा, जिससे वे घबरा गए। उनकी वह घबराहट देख कर शिष्य पूछा बैठा- यह क्या उस्ताद? कल तो सिंह आपसे डरकर भाग गया और आज आप मच्छर से ही घबरा गए? संत खवास ने मुस्कुराते हुए
SR No.002327
Book TitleSucharitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayraj Acharya, Shantichandra Mehta
PublisherAkhil Bharatvarshiya Sadhumargi Shantkranti Jain Shravak Sangh
Publication Year2009
Total Pages700
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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