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नव-जागरण का बहुआयामी कार्यक्रम
4. शिक्षकों द्वारा चरित्र शिक्षा की महत्ता का गीत :
(तर्ज : खड़ी नीम के नीचे...) शिक्षक देते शिक्षार्थी को, अभिनय शिक्षा दान है सच्ची शिक्षाओं से मानव, बन जाता भगवान् है कुंभकार सम कलाकार ही तो शिक्षक कहलाता है वह जैसा चाहे वैसा निर्माण करे, वह तो निर्माता है संस्कारों से बनी संस्कृति, शिक्षा प्रथम सोपान है
सच्ची शिक्षाओं... || 1 || नीतिनिष्ठ चरित्रवान निःस्वार्थी शिक्षक की शोभा निर्मल मन हो गंगाजल सम, ब्रह्म तेज की हो आभा कर्तव्यपरायण शुभ हो चिन्तन, कथनी करणी समान है
सच्ची शिक्षाओं... ||2|| धर्मनिष्ठ हो, व्यसन मुक्त हो, अपनत्व स्वयं संवेदन हो विनय विवेक जगाने वाला, जागृत स्वयं सचेत न हो शिक्षक है आदर्श जगत् में, शिक्षा शुभ वरदान है
__ सच्ची शिक्षाओं... || 3॥ शिक्षा को पेशा नहीं माने, शिक्षक स्वयं निरीक्षक हो रोजी रोटी का नहीं साधन, शिक्षक स्वयं समीक्षक हो आत्म-परीक्षण ही तो शिक्षा, शिक्षक का शुभ प्राण हो
सच्ची शिक्षाओं... ||4|| भूल गए आदर्श हमारे , शिक्षक गण से कहना है छात्रवृन्द पर असर पड़ेगा, चरित्र तुम्हारा गहना है भावी भारत और भाग्य का, करना शुभ निर्माण है
___ सच्ची शिक्षाओं... || 5॥ चरम लक्ष्य है मुक्ति पाना, शिक्षा उसका साधन है केवल साक्षर नहीं बनाना, दीक्षा तितिक्षाराधन है 'विजय' वृत्तियाँ बनें सुनिर्मल, तो ही शिक्षा महान है
सच्ची शिक्षाओं... || 6॥
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