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________________ नव-जागरण का बहुआयामी कार्यक्रम 10. धर्म-मजहब, जाति-पांति, वर्ण या शुद्धि के नाम पर किए जाने वाले सामाजिक भेदभावों को उखाड़ने के लिए लोगों को जागृत करना एवं सामूहिक आन्दोलन चलाना। 11. व्यक्ति के जीवन को शुद्ध एवं सरल बनाए रखने के उद्देश्य हेतु लोगों को धूम्रपान, गुटखा व पान मसाला लेने की बुरी आदतों को समझाइश से छुड़ाना और हिंसक कार्यों से उत्पादिक फैशन की सामग्री को न अपनाने पर जोर देना। आवश्यकतानुसार इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए जनान्दोलन खड़े करना। 12. विवाह में दहेज न लेने, महंगे बैंड बाजे न लगाने, आतिशबाजी नहीं करने तथा अन्यथा भी आडम्बर नहीं करने के लिए संकल्प दान कार्यक्रम आयोजित करना और इन बुराइयों के विरुद्ध जनान्दोलन चलाना। 13. वेश्यावृत्ति, महिलाओं के शील हरण, अंडा खाने सहित मांस भक्षण, पशु-पक्षियों के शिकार, जुआबाजी, तम्बाकू सेवन और अफीम, ब्राऊन शूगर, स्मैक, शराब, बीअर आदि के सेवन से संबंधित सभी व्यसनों को छुड़ाने के लिए व्यक्ति एवं समाज की हित दृष्टि से जनान्दोलन चलाना तथा उनसे व्यसन मुक्ति का संदेश जन-जन तक पहुंचाना। चरित्र निर्माण से संबंधित यथावसर अन्य उद्देश्यों को भी इस सूची में सम्मिलित किया जा सकेगा तथा प्रयत्न किया जाएगा कि कोई भी संबंधित विषय इस अभियान की कार्यसूची से न छूटे। व्यक्ति के उत्तरोत्तर चरित्र विकास हेतु अभियान के तीन चरणों का विवरण : ___ व्यक्ति के उत्तरोत्तर चरित्र विकास की दृष्टि से इस अभियान को तीन चरणों में चलाए जाने का प्रस्ताव है1. चरित्रशील : चरित्र निर्माण में दृढ़ आस्था बनाना तथा प्रक्रिया में सम्मिलित हो जाना। 2. चरित्रनिष्ठ : चरित्र निर्माण में गंभीरतापूर्वक सक्रियता धारण करना और अपने शुभदायक कार्यों से अन्यों को प्रभावित करना। 3. चरित्रलीन : चरित्र निर्माण की निर्धारित गुणानुसार पूर्णता प्राप्त कर लेना तथा सम्पूर्णतः अथवा अंशतः अभियान को रचनात्मक सहयोग देना। अब इन तीनों चरणों का कुछ विस्तार से विवरण दिया जा रहा है तथा प्रत्येक चरण में किस प्रकार की प्रतिज्ञाओं का संकल्प-पत्र भरना एवं उनका निष्ठापूर्वक पालन करना-इसका भी ब्यौरा दिया जा रहा है। इन तीन चरणों के अन्तर्गत नव्य समतामय एवं चरित्र सम्पन्न समाज की संरचना का उद्देश्य लेकर अभियान को प्रगति की दिशा में आयाम दिया जाएगा। प्रथम चरण : चरित्रशील-इस चरण में ऐसी सरल एवं सामान्य प्रतिज्ञाएं रखी गई हैं, जिनके अनुपालन का संकल्प कोई भी सामान्यजन ग्रहण कर सकेगा। इस चरण के संकल्प-पत्र का प्रारूप निम्नानुसार है, किन्तु विभिन्न सुझावों के आधार पर इसमें यथोचित संशोधन किए जाते रहेंगे। 489
SR No.002327
Book TitleSucharitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayraj Acharya, Shantichandra Mehta
PublisherAkhil Bharatvarshiya Sadhumargi Shantkranti Jain Shravak Sangh
Publication Year2009
Total Pages700
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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