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________________ सुचरित्रम् आज राष्ट्र की सरकार ही सबसे बड़ा शासकीय घटक है। यों तो राष्ट्र बंटे हुए हैं प्रदेशों में, प्रदेश जिलों में, जिले तहसीलों में, तहसीलें ग्राम पंचायतों में, किन्तु अब यह सारा विभाजन एक प्रकार से विभाजन हैं भी और दूसरी दृष्टि से विभाजन नहीं भी है। क्योंकि मानव समाज की व्यवस्था अब राष्ट्रीय स्तर तक संघर्षशील नहीं रही है और नीचे का यह सारा विभाजन मात्र शासकीय-प्रशासकीय सुविधा के लिए ही है। भूगोल और जन मानस में यहां तक एकता का तालमेल बैठ गया है और इससे ऊपर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का ही क्रम है। किन्तु अभी राष्ट्र और अन्तर्राष्ट्रीय के बीच अन्तर बहुत है। राष्ट्र नायकों के अपने-अपने स्वार्थ निहित है और इस नजरिए से वे राष्ट्रवाद की लकीर पीटना आसानी से नहीं छोड़ेंगे। राष्ट्रीयता वह भावनात्मक कड़ी है जिसकी कसाहट कठोर है। फिर भी वर्तमान में जो घटनाएं गुजर रही है, उनके परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रवाद की सख्त कड़ियों को भी तोड़ने की तैयारी जरूर शुरू हो गई है, बल्कि इससे आशा बंधने लगी है कि प्रदेशवाद के समान राष्ट्रवाद भी एक दिन विश्वात्मवाद की शरण में आ जाएगा। मानव जाति की एकता तथा विश्व संगठन या सरकार का स्वर्णिम दिन होगा वह। गत 11 सितम्बर 2000 के दिन अमेरिका के व्यापार केन्द्र पर आतंकवादियों ने जो विनाशकारी आक्रमण किया, उसके बाद से अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों के बारे में राष्ट्र नेताओं का नजरिया बदलने लगा है। आतंकवाद के विरुद्ध अनेक देशों की जो साझी लड़ाई शुरू हुई है, उससे वर्तमान कानूनों पर प्रश्नचिह्न लग गया है-1. किसी भी छोटे उदंड देश के आतंकी भी जब बड़े और विकसित देश को दहशत में डाल सकते हैं तो इन कानूनों की पालनीयता प्रभावहीन नहीं हो जाएगी? फलस्वरूप हर देश को कहा जा रहा है कि या तो वह आतंकवाद विरोधी खेमे में रहे या फिर वह आतंकियों का साथी माना जाएगा। इससे इच्छा हो या अनिच्छा-सभी देश एक समूह में हैं और आतंकवाद के विरोध के लिए सहमति है। 2. अब तुरताफुरत में अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद को कुचलने के लिए प्रत्येक सहयोगी देश भी राष्ट्रीय कानून बना रहे हैं। 3. अब अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों का भी ऐसा नेटवर्क बनाया जाने लगा है और देशों पर विनाशक शास्त्रों की कमी का दबाव बढ़ रहा है। इस तरह परोक्ष रूप में एक अन्तर्राष्ट्रीय शक्ति संगठित हो रही है। नई शक्ति आतंकियों को अलग-थलग करके शेष को एक सूत्र में पिरोने का काम करेगी। 4. आतंकवाद विरोधी राष्ट्रों का नया कानून उन्हें नये उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध बनाएगा। 5. अब सोवियत संघ के विघटन के बाद दुनिया में दो गुट नहीं रहे, अकेला अमेरिका महाशक्ति के रूप में है और अब तीसरी दुनिया (विकासशील देशों की) भी नाम मात्र की रह जाएगी। महाशक्ति की सहायिका के रूप में-सो कैसे भी हो या कैसा भी हो-पूरे विश्व की एकजुटता तो निर्माण की प्रक्रिया में आ गई है। राष्ट्रीयता के बंध ढीले हो गए हैं सो यह एकजुटता उचित अवसर पर साकार रूप ले सकती है। कारण, यदि अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद की रीढ़ तोड़ती है तो राष्ट्रों की सीमाओं को नजरअन्दाज करना ही होगा। __ सीमा रहित विश्व के निर्माण के लिए अब अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों की एक दिशा निश्चित हो गई है और अब धीरे-धीरे वैश्वीकरण का जो स्वरूप उभरेगा, उसमें बहुसंस्कृतिवाद को ही नागरिक धर्म बनाना होगा-किसी एक ही संस्कृति का वर्चस्व नहीं चलेगा और बहुसंस्कृतिवाद के चलते 418
SR No.002327
Book TitleSucharitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayraj Acharya, Shantichandra Mehta
PublisherAkhil Bharatvarshiya Sadhumargi Shantkranti Jain Shravak Sangh
Publication Year2009
Total Pages700
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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