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सामाजिक प्रवाह की गतिशीलता व निरन्तरता हेतु हो बदलाव
जीवनशैली न तो सफल हो सकती है और न ही व्यक्ति से विश्व तक के किसी भी स्तर पर प्रगति के पथ को निर्बाध बना सकती है। संयुक्त राष्ट्र संघ के पूर्व महासचिव दाग हेमरशोल्ड ने एक स्थान पर कहा-आन्तरिकता की यात्रा गहनतम और सबसे लम्बी यात्रा होती है। सच तो यह है कि बाहर की सारी व्यवस्था भीतर की यात्रा की सुचारूता पर ही टिकती है और टिकी रहती है। __ऐसी अन्तर्यात्रा प्रत्येक उन्नतिकामी व्यक्ति के लिए अनिवार्य है तो ऐसे अन्तर्यात्रियों की सहायता के बिना कोई भी व्यवस्था स्वस्थ, सुखद और स्थायी नहीं हो सकती है। इस अन्तर्यात्रा का एक ही लक्ष्य होता है कि 'स्व' को खोजा जाए। इस खोज का पहला परिणाम यह होता है कि कर्ता कोरा कर्ता ही नहीं रह जाता है, वह दृष्टा भी हो जाता है। कोई कुछ करता है-एक बात, किन्तु प्रतिपल वह अपने को देखता भी रहता है कि वह क्या कर रहा है तो इस सजगता को जीवन के लिए या जीवनशैली के लिए एक वरदान मानना चाहिए। आत्मनिरीक्षण, आत्मनियंत्रण, आत्मसंचालन के साथ आत्मालोचना के जुड़ जाने से विचार, वचन, व्यवहार का शुद्धिकरण हो जाता है। इन सबका केन्द्र बिन्दु होती है स्वानुभूति यानी कि आप अपने आपको हर समय महसूस करते हैं-अपने को कभी भूलते नहीं। इसे आत्म-साक्षात्कार भी कह सकते हैं। 'मैं' आत्म-शक्ति की पहचान है, क्योंकि यह 'मैं' दुर्बल या असहाय नहीं, पर जब जागे तो पूर्णता तक विकसित होकर ईश्वर या ब्रह्म का स्वरूप धारण कर लेता है (अहं ब्रह्मोस्मि)। बाहर में भटकते हुए मनुष्य को यह अपना ही 'मैं' बड़ी कठिनाई से यानी कि एकाग्र अभ्यास से समझ में आता है। यही उसका 'स्व' कहलाता है। स्व की अनुभूति मनुष्य को अन्तर्मुखी बनाती है और चेतना शक्ति का भान दिलाती है। ध्यान. योग. कायोत्सर्ग आदि अन्यान्य प्रणालियों से यह अभ्यास किया जाता है किन्तु अन्तःकरण में जो गहरी लगन जग जाए तो वर्षों का काम क्षणों में बन सकता है। यह भावात्मक उत्कृष्टता का फल होता है।
स्व का अनुसंधान तथा चारित्रिक नवोदय का अभ्यास साथ-साथ चलना चाहिए, जितनी भीतर की महसूसगिरी गहरी होती जाएगी उतने ही चारित्रिक गुण जीवनशैली में घुलते-मिलते जाएंगे अथवा इसे भी यह कह सकते हैं कि चारित्रिक गुणों की सतत ग्रहणशीलता से स्व का अनुसंधान उदित ही नहीं होगा अपितु वह परिपक्व भी होता जाएगा। ऐसा चारित्रिक नवोदय लालिमायुक्त होगा क्योंकि उसके साथ आन्तरिक एवं बाह्य सभी शक्तियां संयुक्त होगी।
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