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________________ सुचरित्रम् अदालत में नहीं जा सकते हैं। अतः धंधे की जान होती है ईमानदारी। जेबकतरों का भी अपना गिरोह था और सरगना अपने मेम्बरों की कारगुजारियों पर कड़ी नजर रखता था और वह दिल्ली में रहता था। उद्योगपति के पीछे जो जेबकतरा मुम्बई से चला था, उसके काम की हद रतलाम तक ही थी। इस कारण रतलाम पर उसने, उद्योगपति को दस हजार रुपयों में अपने गिरोह के एक साथी को बेच दिया और राशि संबंधी सारे तथ्य उसे बता दिए। अब रतलाम से वह जेबकतरा उद्योगपति की खोजतलाश करने लगा, परन्तु उसे भी कामयाबी हाथ नहीं लगी। उसकी हद भी सवाई माधोपुर पर खत्म हुई और वहां पर उसने उद्योगपति को पांच हजार में बेच दिया। खरीदने वाला और कोई नहीं, उनके गिरोह का सरगना ही था। अब वह उद्योगपति की सर्च में लग गया। दिल्ली का स्टेशन आ गया, पर उसे भी राशि का पता नहीं चला। वह हैरान हो गया इसलिये नहीं कि उसे राशि नहीं मिली, बल्कि इसलिये कि कहीं उसके उस गिरोह में बेईमानी तो नहीं चल पड़ी है जो उस गिरोह के सदस्यों ने झूठमूठ ही उस उद्योगपति को खरीदा और बेचा और कुछ भी हो लेकिन गिरोह में बेईमानी किसी कदर नहीं चलनी चाहिए। फिर वह गिरोह का सरगना है तो इस हालत में कैसे बर्दाश्त कर सकता है? उद्योगपति गाड़ी से उतर कर रिटायरिंग रूम (स्टेशन) में चले गये और निवृत्त होने लगे। अचानक दरवाजे पर खटखटाहट हुई। उन्होंने दरवाजा खोला तो एक संभ्रांत-सा युवक उनके सामने खड़ा था। उसने निवेदन किया कि वह उनके साथ कुछ जरूरी बात करना चाहता है। उद्योगपति ने उसे भीतर सोफे पर बिठा दिया और कहा-'बोलो, क्या कहना चाहते हो?' युवक बोला-'पहले तो मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूँ कि आप एकदम सुरक्षित है।' उद्योगपति चौंके कि इसे यह कैसे मालूम? फिर युवक ने ही बात आगे बढ़ाई, मुम्बई से पीछे लगे अपने गिरोह के मेम्बरों की कारगुजारियां बताई, फिर अपना तजुर्बा बयान किया और शराफत से पूछा-'यह हमारे गिरोह की ईमानदारी का सवाल है, इसलिये मैं जानना चाहता हूं कि आपकी राशि संबंधी ये सारे तथ्य सही हैं या गलत हैं उसने सारे तथ्य बता दिये।' इस उद्योगपति को रोष चढ़ आया और वे बोले-'तुम जेबकतरे ईमानदारी की बात करते हो, शर्म नहीं आती। हां, तुमने जो तथ्य बताए, वे सब सही हैं।' युवक ने राहत की सांस ली कि गिरोह में बेईमानी कतई नहीं घुसी है। राशि नहीं मिली तो कोई बात नहीं। हंसते हुए उसने पूछ ही लिया-'अब आपकी राशि को कोई खतरा नहीं, जानकारी के लिये बता दें कि वह कहां रखी है?' उद्योगपति ने राशि का ठिकाना तो बता दिया, पर उन्होंने फिर ताना मारा'जुर्म करने वाले भी ईमानदारी की बात करेंगे तो फिर बेईमानी कहां रहेगी?' ___ अब जवाब देने की उस युवक की बारी थी। वह तन कर बैठ गया और बोलने लगा-आपको बता दूं कि हमारा धंधा एकदम ईमानदारी पर चलता है। यही हमारी नैतिकता है। हमें आपकी राशि नहीं मिलने का तनिक भी अफसोस नहीं है लेकिन अगर बेईमानी का जरा सा भी सबूत मिल जाता है तो पूरे गिरोह में हड़कम्प मच जाता। हम अपनी नैतिकता को कभी टूटने नहीं देते हैं। अब उद्योगपति ठहाका मारकर हंसे-वाह, क्या कहना है तुम्हारी नैतिकता का? जेबें कतरना और नैतिकता बघारना-क्या मजे की बात है? नैतिकता के कायल तो हम लोग हैं जो शरीफ कहलाते हैं। तब युवक ने कटाक्ष करने शुरू किये-आपकी कोई नैतिकता है? आप दिल्ली आये हैं पांच लाख की रिश्वत देने और नैतिकता की बात करते हो। हम तो आप जैसे सरप्लस पैसे वालों की जेबें काटते हैं मगर आप 212
SR No.002327
Book TitleSucharitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayraj Acharya, Shantichandra Mehta
PublisherAkhil Bharatvarshiya Sadhumargi Shantkranti Jain Shravak Sangh
Publication Year2009
Total Pages700
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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