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आचार्य विजय राज कृति जिनकी कल्याणकारी आकृति जिनकी आह्लादकारी प्रकृति जिनकी पावनकारी प्रवृत्ति जिनकी प्रियकारी देशना जिनकी हितकारी उपासना जिनकी श्रेयकारी
चरित्रम् सुचारमा
सोच जिनकी सकारात्मक चिंतन जिनका गुणात्मक लेखन जिनका रचनात्मक प्रवचन जिनका प्रेरणात्मक जीवन जिनका सृजनात्मक व्यवहार जिनका सद्भावात्मक
आचार में पवित्रता विचार में उदारता व्यवहार में पारदर्शिता
तप में तेजस्विता त्याग में प्रखरता जीवन में सात्विकता भाषा में माधुर्यता वाणी में ओजस्विता स्वभाव में विनम्रता अनुशासन में कठोरता प्रभु भक्ति में तल्लीनता
गुरुभक्ति में तन्मयता ऐसे बाह्य एवं आभ्यान्तर गुणों से
सम्पन्न
अष्ट संपदा के धारक आचार्य प्रवर को
शत-शत नमन