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________________ मानव जीवन में आचार विज्ञान : सुख शांति का राजमार्ग आचार : धर्म का प्रेरक, प्रहरी और प्रस्तोता जीने की कला वही सीखता, उसे अमल में लाता और जीवन में सुख-शान्ति का संचार करता है, जो चरित्र निर्माण की दिशा में स्थिर गति से आगे बढ़ता है । चरित्र कहें या आचार- यह साधना का मार्ग होता है । आचार के मार्ग पर आगे बढ़ने का सबसे बड़ा अवरोध होता है मानव का स्वयं का अहंकार । योग्यता उपयुक्त है या नहीं अथवा प्राप्ति पर्याप्त है या नहीं- आज जिधर देखें, लोगों के सिर पर 'मैं' का भूत चढ़ा रहता है । अहंकारी व्यक्ति अन्य को कुछ समझता ही नहीं है। उस अहंकार के वशीभूत होकर वह अपने अधिकारों का अतिक्रमण करता है, अपनी सीमाओं को लांघकर दूसरों की सीमा में घुसता है और अपने सामर्थ्य से बाहर जाकर सब कुछ करने की सोचता है तो वैसे व्यक्ति की सुख-शान्ति क्या विलीन नहीं हो जाएगी? शान्ति का मार्ग तब मिलेगा जब व्यक्ति आचारनिष्ठ बनेगा और वह आचारनिष्ठ तब बनेगा जब अपने अहंकार का शमन कर लेगा । चरित्र निर्माण के मार्ग पर कोई अधिक तीव्र गति से तब बढ़ सकता है जब उसके सामने किन्हीं आचारनिष्ठ साधक का आदर्श जीवन अनुभव में 119
SR No.002327
Book TitleSucharitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayraj Acharya, Shantichandra Mehta
PublisherAkhil Bharatvarshiya Sadhumargi Shantkranti Jain Shravak Sangh
Publication Year2009
Total Pages700
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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