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सुचरित्रम्
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कार्यरत रहते हैं। आधुनिक संदर्भ में 'ट्राइन ब्रेन मॉडल' की संकल्पना की गई है। जिसके तीन भाग होते है - 1. रिसोप्टिव कॉम्पलेक्स, 2. लिम्बिक सिस्टम व 3. नियो कॉरटेक्स इन तीनों के अलगअलग वैचारिक कार्य होते हैं। यह शोध मनोवैज्ञानिक फ्रायड की धारणा से मेल खाती है जिसमें मन तीन प्रकार का बताया गया है - 1. इड, 2. इगो एवं 3. सुपर इगो । मन के व्यवस्थित संचालन के लिये स्मृति, कल्पना और चिन्तन से मस्तिष्क का एक विशिष्ट केन्द्र पुनर्गठित किया जाएगा और ध्यान से विशेष पुर्नसंगठन होगा कि कार्य अतीन्द्रिय रूप धारण कर ले। योग से मस्तिष्क में ऊर्जा का संचय करके उसे सूचना का भंडार बना दिया जाएगा और उसका विशेष रूप से संचालन होगा। मस्तिष्क के गुणसूत्रों पर जीन लगेगा, जहां प्रत्येक गुण सुत्र में 200 करोड़ सूचनाएं समाहित होगी। ऐसे लिम्बिक सिस्टम पर मन का प्रक्षेपण किया जायेगा ।
सूक्ष्म शरीर प्रक्षेपण: परा मनोविज्ञान ने गहरी खोज की है और एक्स्टीरियल प्रोजेक्षन थ्योरी निकाली है। इसके अनुसार शरीर दो प्रकार का माना गया है - 1. प्रकृत भौतिक शरीर तथा 2. साइकिक शरीर अर्थात मन। इसे डुप्लीकेट शरीर कहा जाता है जो सघन भौतिक शरीर की अपेक्षा उच्च आवृत्ति के गमन वाले इलेक्ट्रोड से सम्पन्न होता है। यह साइकिक डबल की थ्योरी है। इसके अनुसार नींद में भाव समाधि में, बीमारी की कमजोरी में यह शरीर से बाहर गमन करता हुआ भौतिक शरीर के चारों ओर रहता है, जो व्यक्ति की दृष्टि में अचेतन है। दोनों शरीरों के बीच में रजत रज्जू (सिल्वर कोर्ड) का जोड़ रहता है, जिसके टूटने पर मृत्यु हो जाती है। वैज्ञानिकों के अनुसार ब्रह्मांड में इलेक्ट्रोमेग्नेटिक सत्ता विद्यमान है जो ग्रह नक्षत्रों की भ्रमणशीलता और आकर्षण के उभयपक्षीय प्रयोजन पूरे इसे प्राणशक्ति का प्रवाह माना गया है। अणु - परमाणुओं की संरचना तथा गतिविधियों के रूप में यह शक्ति प्रत्येक जीवधारी में दृश्यमान है। ऊर्जा के रूप में यह शक्ति मनुष्य शरीर के चारों ओर फैली है, जिस ऊर्जा को जीवधारी अपनी आवश्यकता के अनुसार ग्रहण करता है। उसे ही तेजोवलय कहते हैं और इसी का प्रक्षेपण सूक्ष्म शरीर का प्रक्षेपण कहलाता है ।
अतीन्द्रिय शक्ति की पहचान : संयोग से हटकर जब कई संख्याओं में परीक्षण दोहराया जाय, तब अतीन्द्रिय शक्ति की पहचान होती है। इस पर वैज्ञानिक भांति-भांति के प्रयोग कर रहे हैं। इसे टेलीपोर्टेशन की थ्योरी के माध्यम से पहचान बनाने की चेष्टाएं की जा रही है। अतीन्द्रिय शक्ति सामान्य अनुभव से परे है जो विस्मयकारी है तथा परामन या परा - मानसिक तत्त्व के साथ जुड़ी हुई है। इसी शक्ति द्वारा सम्मोहन एवं विचार सम्प्रेषण की क्रियाएं सम्पन्न की जा सकती है । सम्मोहन का चिकित्सा क्षेत्र में प्रयोग किया जा रहा है जिसे मेडिकल साइन्स में 'नर्वस स्लीप' कहते हैं । सम्मोहन का मुख्य आधार असंवेदन है। इसके द्वारा विचार एवं क्रियाकलाप का स्थगन हो जाता है। यह तब होता है जब बाह्य उद्दीपक इन्द्रियों को प्रभावित करने में असमर्थ सिद्ध होता है । यों मस्तिष्क की क्रिया पूर्णतः निलम्बित नहीं होती है। सम्मोहन तकनीक से विलुप्त हुई स्मृतियाँ पुनः जागृत होती है। वैज्ञानिकों का विश्वास है कि पूर्वजन्म की स्मृतियों को जगाना भी संभव हो जाएगा । ब्रह्मांडीय चेतना के साथ संबंध स्थापित हो जाने से परोक्ष दर्शन, पूर्वाभास, अतीत ज्ञान एवं विचार संप्रेषण तक संभव हो सकेगा।
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विचार संप्रेषण की तकनीक : विचार संप्रेषण का अंग्रेजी शब्द है टेलीपेथी । यह विषयनिष्ठ