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30. उत्तराध्ययनसूत्र
क्र.
स्वरूप
पे. कर्ता
संवत्
1004
शारदाबाई महासतीजी
| वि. 2031
1005
1006
7 | गिरीशचंद्रजी महाराज वि. 2033P 8 विशालसेनसूरि वि. 2035 9 शारदाबाई महासतीजी | वि. 2035
1007
1008
10 शारदाबाई महासतीजी
वि. 2037
1009
उज्ज्वलकुमारीजी साध्वी | वि. 2051
1010
1011
12 वनिताबाई महासतीजी | वि. 2054
(विनय) वनिताबाई महासतीजी वि. 2061
(विनय) 14 नीरा कांतिलाल नाहटा | | वि. 2063P
1012
कृति विशेषनाम*भाषा*गद्य-पद्य*परिमाण*आदि-अंत*प्र.क्र. महानिग्रंथीयाध्ययन के प्रव. * (गु.) * गद्य * (अ. 20वाँ)
→प्रव. 109 (744) | (गु.) * गद्य * (अ. 23वाँ)-प्रव. 110 {745) | (गु.) * गद्य * (अ. 36) प्रव. 82+28 {759} रहनेमि अध्ययन के प्रव. * (गु.) * गद्य * (अ. 22वाँ) →प्रव. 103{746) नमिप्रव्रज्याध्ययन के प्रव. * (गु.) * गद्य * (अ. 9वाँ) →प्रव. 105(749) सम्यक्त्वपराक्रम अध्ययन के प्रव. * (गु.) * गद्य * (अ. 29वाँ) →प्रव. 120 {789} सम्यक्त्वपराक्रम अध्ययन के प्रव. * (गु.) * गद्य * (अ. 29वाँ)
→प्रव. 114 {786} | केशीगौतमीयाध्ययन के प्रवचन * (गु.) * गद्य * (अ. 23वाँ)
→प्रव. 110 {814} रहनेमि अध्ययन के शारदाबाई महासतीजी के (गु.) प्रव. का भाषां. * (हिं.) * गद्य * (अ. 22वाँ) →प्रव. 103 (820) | (गु.) * गद्य * (अ. 3) {831) 'उत्तराध्ययनसूत्र चिंतनिका', विवेचनयुक्त * (गु.) * गद्य * प्रक.55{768 'उत्तराध्ययन चयनिका', सार्थ * (हिं.) * गद्य * (अ. 36) सूत्र 152 {783) 'उत्तराध्ययनसूत्र : एक परिशीलन' * (हिं.) * गद्य * (अ. 36) प्रक.8 {737} 'उत्तराध्ययनसूत्र : एक समीक्षात्मक अध्ययन' * (हिं.) * गद्य * वि.2→प्रक.9+11(अ. 36) {734) 'उत्तराध्ययनसूत्र : एक परिशीलन', सुदर्शनलाल जैन के (हिं.) शोधग्रंथ का भाषां. * (गु.) * गद्य * (अ. 36) प्रक. 8 {798) 'उत्तराध्ययन का शैली-वैज्ञानिक अध्ययन' * (हिं.) * गद्य * अध्याय 7 (अ. 36) {808)
डॉ.
1013
वि. 2067
| 15| चंद्रगुप्तसूरि 1014 अंशसंग्रह |1| वाचंयमाश्रीजी
(30) 1015
2 | कमलचंद सोगानी डॉ.
वि. 2039
वि. 2050P
| 1016 शोधग्रंथ
(31)
1| सुदर्शनलालजी जैन
वि. 2023
1017
2 महाप्रज्ञजी आचार्य
वि. 2024P
1018
3| अरुण शांतिलाल जोशी
वि. 2038
1019
4 | अमितप्रज्ञा साध्वी
वि. 2061P
1020 मूल (1)
शय्यंभवसूरि
31. दशवैकालिकसूत्र (1020-1115) वि.-398# | (प्रा.) * पद्य, गद्य * अ. 10, चू. 2→उ. 14→सूत्र 575
ग्रं.700 {धम्मो मंगलमुक्किट्ठ, अहिंसा...दसवेयालियं सुत्तं समत्तं ।।) {837, 838, 840, 841, 842, 843, 844, 845, 846, 847, 848, 849, 850, 851,852,853, 854, 855, 856,857,858, 861,862,863,866,867, 868, 869, 870, 871, 872, 873,874,875,876,878,879, 880, 882, 883, 884, 885, 886, 887, 888, 890, 891, 892, 894, 895, 896, 897, 898, 899, 900, 901, 902, 903,