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54
क्र.
960
961
962
963
964
965
966
967
968
969
970
971
972
973
974 अनु., अर्वा, टिप्प
(21)
975
976
977
स्वरूप
978 अनु., विवे.
(22)
979
980
981
982 पद्यानु. (23)
983
पे. कर्ता
16 रविन्द्रमुनि (F)
17 हुकमचंद जैन डॉ.
18 अमरमुनिजी उपप्रवर्तक
19 बृजमोहन जैन डॉ.
20 बी. के. खडबडी डॉ.
21 दीपरत्नसागरजी
22 सुभद्रजी मुनि
23 अज्ञात
24 कांतिलाल खेमचंद कापडिया डॉ.
25 दीपरत्नसागरजी
26 सौभाग्यमुनिजी
27 दीपरत्नसागरजी
28 धीरज मुनि
29 गुणहंसविजयजी
1 भोगीलाल ज. सांडेसरा
2 महाप्रशजी आचार्य, राज
3 चंदना साध्वी
4 रमणीकलाल मनसुखलाल शाह डॉ.
1 सौभाग्यचंद्रजी मुनि
2
3
पारस मुनि
रविन्द्रमुनि (#)
4 राजेन्द्रमुनि शास्त्री डॉ.
1 पारस मुनि (#)
2 मांगीलालजी मुनि
30. उत्तराध्ययनसूत्र
संवत्
fa. 2039#
fa. 2047P
fa. 2048P
fa. 2048P
fa. 2049P
fa. 2053P
fa. 2055P
fa. 2056P
fa. 2057P
fa. 2058P
fa. 2063P
fa. 2066P
fa. 2067P
fa. 2070P
fa. 2008P
fa. 2023P
fa. 2029P वि. 2058P
fa. 1991P
fa, 2022
fa. 2039#
fa. 2040P
fa. 2025P
fa. 2031
कृति विशेषनाम* भाषा*गद्य-पद्य*परिमाण* आदि - अंत*प्र.क्र. प्रमादस्थान अध्ययन का अनु. * (अं.) * गद्य * (अ. 32वाँ) {774}
(हिं.) गद्य * (अ. 1, 22वाँ) {1550}
'स्पष्टीकरणयुक्त' * (हिं.) *गद्य * (अ.36) ( 767 }
अमरमुनिजी उप. कृत (हिं.) अनु. का भाषां. * (अं.) * गद्य * (3T. 36) {767}
रथनेमिय अध्ययन का अनु. * (अं.) * गद्य * (अ. 22वाँ) → गाथा 48 In the town... Thus I say} {769 } (गु.) *गद्य * (अ. 36 ) ( 1460)
'स्पष्टीकरणयुक्त' * (हिं.) * गद्य * (अ. 36 ) ( 788 }
(गु.) * गद्य * (अ. 3-4) ( आ संसारमां प्राणीओने ... हुं कहुं छु.) {1464)
(अं.) * गद्य (अ. 36) {797 }
(हिं.)* गद्य * (अ. 36) (1476) (हिं.)* गद्य (अ. 14) {818}
'विशेष स्पष्टीकरणयुक्त' * (गु.) (828)
(गु.) * गद्य (अ. 36 ) ( 830 }
(गु.) *गद्य * (अ. 1) ( 836)
गद्य * (अ. 36 )
(गु.) * गद्य * (अ. 18 ) ( संयोग आसक्तिथी विशेषपणे मुक्त... आवास आपे ?'} {720}
(हिं.) गद्य (अ.36) {733, 794 }
(f.)*TTET (3T. 36) (769, 780}
महाप्रशजी के (हिं.) अनु. और (अव) टिप्पण का भाषां. (गु.) * गद्य * (अ. 36 ) ( 801 )
(गु.)* गद्य (अ. 36 ) (736,765)
(गु.) * गद्य
(अ. 28वाँ गाथा 14) {735)
प्रमादस्थान अध्ययन का अनु., विवे. * (गु.) *गद्य * (अ. 32वाँ) {774}
(f.)*TET (3T. 36) {764}
(गु.) * पद्य * (अ. 28वाँ गाथा 14) {735}
(हिं.) * पद्य * (अ. 36), प्रशस्ति गाथा - 8 ( जो संयोगमुक्त अनगार, ... ज्ञातवंशज ने सुन्दर । । 268 ।।} {1445}