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________________ 46 क्र. स्वरूप 821 822 823 अर्वा. टीका (5) 824 शब्द., अनु., विवे. (6) 825 अन्व., अनु., विवे. (7) 826 अनु. (8) 827 828 829 830 अनु., (9) . विवे. 831 पे. 2 घासीलालजी महाराज (#) 3 अशोककुमार सिंह डॉ., कृतिसंशो. सुरेशचंद्र पांडे प्रो. घासीलालजी महाराज 836 837 fad. (12) 838 सारांश (13) 839 शोधग्रंथ (14) 1 840 मूल (1) 2 832 3 833 निर्युक्तिअनु 1 (10) कर्ता 834 2 835 अर्वा टीकानु. 1 (11) 3 दीपरत्नसागरजी 4 दीपरत्नसागरजी 1 अमरमुनिजी उपप्रवर्तक अमोलकऋषि कन्हैयालालजी मुनि (कमल) 2 राजकुमार जैन, छगनलालजी शास्त्री डॉ. वि. 2036# महेन्द्रकुमार रांकावत डॉ. आत्मारामजी आचार्य fa. 1989 कृतिसंशो. सुरेन्द्र बोधरा डोलरबाई महासतीजी अशोककुमार सिंह डॉ. 27. दशाश्रुतस्कंचसूत्र संवत् वि. 2016P fa. 2054P fa. 2003 भद्रबाहुस्वामी fa. 1975P fa. 2033P fa. 2053P fa. 2058P fa, 2061P fa. 2061P fa. 2062P fa. 2054P वि. 2056P दुलहराजजी मुनि घासीलालजी महाराज (#) वि. 2016P 2 घासीलालजी महाराज (#) वि. 2016P तिलोक मुनि fa. 2048P ज्ञानसुंदरजी मुनि सागरमल जैन डॉ. fa. 1979 fa. 2054P कृति विशेषनाम भाषा*गद्य-पद्य*परिमाण आदि अंत*प्र.क्र. (सं.) गद्य * (अ. 10 ) ( 666 } निर्युक्ति की छाया * (सं.)* पद्य * (गाथा 141) {670} 'मुनिहर्षिणी' * (सं.) * गद्य * (अ. 10), प्रशस्ति श्लोक - 8 { श्रीवर्द्धमानं गुणसन्निधानं, सिद्धालये... भूत्वाऽस्मिन्नेव भवे सिध्यति ||} {666 } (हिं.) * गद्य * (अ. 10) (1529 } 'गणपतिगुणप्रकाशिका भाषाटीका' * (हिं.) * गद्य * (अ. 10), प्रशस्ति (प्रा.) गाथा-9 664, 672, 674} (हिं.) *गद्य * (अ. 10) (663) (हिं.) *गद्य * (अ.10) [ 667, 1514 ) (गु.) * गद्य * (अ. 10) {1463, 1486 } (हिं.) *गद्य (अ. 10) {1474 } (हिं.) *गद्य * (अ. 10) {1478) 'अमरमुनिजी उप. के (हिं.) अनु. और विवे. का भाषां. (अं.) * गद्य * (अ. 10) (1478) (गु.) *गद्य * (अ. 10) (1531) (हिं.) * गद्य * (गाथा 141) (670) (हिं.) *गद्य * (गाथा 143) (1525 } 'स्वोपज्ञ' * (हिं.) * गद्य (अ. 10) {666 } 'स्वोपज्ञ' * (गु.) * गद्य * (अ. 10) {666} (f.) *TTET (3T. 10) (1514) 'संक्षिप्तसार' * (हिं.) *गद्य * (अ. 10) (1424} 'दशाश्रुतस्कन्धनिर्युक्ति एक अध्ययन' * (हिं.) * गद्य * ( गाथा 141) अध्याय 4 (670) 28. बृहत्कल्पसूत्र (840-866) वीरसदी दूसरी - → (प्रा.) * गद्य *उ. 6 अधि. 81 सूत्र 206 ग्रं. 437 {नो कप्पड़ निग्गंथाण... त्ति बेमि ।। सू.2011} {676, 677, 678,679,680, 681, 683, 684, 685, 686, 687, 688, 1348, 1374, 1378, 1393, 1394, 1400, 1404, 1406, 1478, 1503, 1510, 1514, 1529, 1531, 1532=27}
SR No.002326
Book TitleAgam Prakashan Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirav B Dagli
PublisherGitarth Ganga
Publication Year2015
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
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