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________________ 9. अनुत्तरोपपातिकदशांगसूत्र संवत् स्वरूप पे. कर्ता कृति विशेषनाम भाषा गद्य-पद्य परिमाण आदि-अंत प्र.क्र. किञ्चिद्व्याख्यायते-तत्रानुत्तरेषु...न तु शरीरवीर्येणेत्यर्थः शेषमन्त-कृद्दशाङ्गवदिति।) {421, 427, 430, 1487, 1490, 1494, 1499, 1504, 1508, 1524, 1534, 1535%3D12} 418 बा.बो. (3) | 1 | अज्ञात (मा.गु.) * गद्य * (श्रु. 1) (तेणें काले चोथा...अर्थ प्ररूप्यो।।) {419) 419 | अज्ञात (मा.गु.) * गद्य * (श्रु. 1) (ते० तेकालनइ विषइ...अंग संपूर्ण थयउ।} {1487) 420 सज्झाय (4)|1मेरुविजयजी वि. 1725# धन्ना काकंदी अणगार की सज्झाय * (गु.) * पद्य * गाथा 8 {चरण कमल नमी...सुविचार मन मान्यो।।8।। {1781, 1784} | 2 | विद्याकीर्तिजी वि. 1669# (गु.) * पद्य * गाथा 7 {धन धन्नो मुनि...निस्तार रे।। महाधन।।7।1) {1784} 3ज्ञानसागरजी वि. 1721 (गु.) * पद्य * ढाल 5 / सर्वगाथा 58 {कर्मरूप अरि जीतवा, ...ज्ञानसागर गुण गायजी।।धनधन०111011} {1771, 1781, 1784} 423 गीत (5) समयसुंदरजी उपाध्याय वि. 16542 | धन्ना (काकंदी) अणगार गीत * (मा.गु.) * पद्य * गाथा 9 (वीर जिणंद समोसरया...सुख थाय।।9।। ज०11) {1774, 1784} 424 छाया (6) |1| आत्मारामजी आचार्य वि. 1993P | (सं.) * गद्य * (श्रु. 1) {423, 432) घासीलालजी महाराज (2) वि. 2004P (सं.) * गद्य * (श्रु. 1) {426) | 426 अर्वा. टीका घासीलालजी महाराज वि. 2002 | 'अर्थबोधिनी' * (सं.) * गद्य * (श्रु. 1), प्रशस्ति श्लोक-17 {गुणनिकरनिधानं, कल्पवृक्षोपमानं, नमितसुरसमाज, ... तृतीयवर्गस्यायम् उक्तरूपः अर्थः=भाव: प्रज्ञप्तः कथितः।) {426 427 शब्द., अनु., | पारसमल चण्डालिया (#) | वि. 2060P | (हिं.) * गद्य * (श्रु. 1) (434) विवे. (8) 428 अन्व., अनु, आत्मारामजी आचार्य वि. 1993P | 'तपोगुणप्रकाशिका भाषाटीका', 'गणपतिगुणप्रकाशिका विवे. (9) भाषाटीका' * (हिं.) * गद्य * (श्रु. 1) {423, 432} 429 अनु. (10) |1| L.D. Barnett Dr. | (अं.) * गद्य * (श्रु. 1) {1418} 430 अमोलकऋषि वि. 1976P | (हिं.) * गद्य * (श्रु. 1) {420} 431 3 M. C. Modi वि. 1988P | (अं.) * गद्य * (श्रु. 1) (1494) 432 | जेठालाल हरिभाई शास्त्री वि. 1990P मूल एवं टीका का सम्मिलित अनु. * (गु.) * गद्य * (श्रु. 1) (1495,1508) 433 5 | आनंदसागरजी (वीरपुत्र) | वि. 1992 (हिं.) * गद्य * (श्रु. 1), प्रशस्ति गाथा-5 {422, 424} 434 6 N. V. Vaidya Prof. | वि. 1993P | (अं.) * गद्य * (श्रु. 1) {1431} 435 7 | गोपालदास जीवाभाई | वि. 1996P | (गु.) * गद्य * (श्रु. 1) {1433} वि. 1996P पटेल 436 8 | फूलचंद्रजी मुनि वि. 2028P (हिं.) * गद्य * (श्रु.1) {1443) 425 2 /
SR No.002326
Book TitleAgam Prakashan Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirav B Dagli
PublisherGitarth Ganga
Publication Year2015
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
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