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________________ सुज्ञ पाठकों ! iv ।। श्रुतगंगा हिमाचलं, वंदे श्री ज्ञातनंदनम् ।। प्रकाशकीय - संस्था के उद्भव का उद्देश्य : प्रणाम..... यदि अंधकार में Torch बिना भटकता मानव दयापात्र है, तो उससे भी अधिक दयापात्र वह मानव है, जो Torch के उपयोग से अनजान है, क्योंकि वह मानव, सामग्री मौजूद होते हुए भी आवश्यक जानकारी के अभाव में उसका उपयोग नहीं कर पाता । उसी तरह... अंधकारमय संसार में स्व पर प्रकाशक जिनशासन की प्राप्ति बिना भटकता जीव निश्चित ही दयापात्र है, परन्तु ऐसे जिनशासन की प्राप्ति के बाद भी यदि जीव उसके रहस्यमय ज्ञान से अपरिचित रहे, तो वह अधिक करुणा पात्र है; क्योंकि इस दुःखमय एवं पापमय संसार से मुक्ति के लिए मात्र जिनशासन की प्राप्ति ही पर्याप्त नहीं, किन्तु इस महान् धर्मशासन की प्राप्ति के बाद उसके तलस्पर्शी - रहस्यभरे ज्ञान द्वारा शासन के प्रति अटूट भक्ति तथा साधना मार्ग का दृढ़ संकल्प आवश्यक है, अन्यथा सद्भाग्य से प्राप्त इस जिनशासन से जीव पूर्णतया लाभान्वित नहीं हो सकता । हमें गौरव है कि 'गीतार्थ गंगा' संस्था द्वारा जिनशासन के इन रहस्यों को 108 प्रमुख विषय एवं उससे संलग्न 10008 विषयों के माध्यम से प्रकट कराने में हम भाग्यशाली बने I शास्त्रों में बिखरे अनेक विषयों के रहस्यभरे मोतियों को संस्था एकत्रित कर रही है । साथ ही उनमें दिखाई दे रहे विरोधाभासी विधानों का निराकरण एवं उन्हीं की परस्पर सन्दर्भ - संगति द्वारा उनमें छुपे हुए रहस्यों को अनोखे ढंग से उजागर कर रही है । ज्ञातव्य हो कि जिनशासन के सार कहलाते ये रहस्य अति दुर्गम हैं, इन रहस्यों को विशिष्ट ज्ञानी ही पार पा सकते । अतः संस्था के मार्गदर्शक प.पू. आ. भ. श्रीमद्विजय युगभूषणसूरीश्वरजी म. सा. ने प्रस्तुत रहस्यों को प्रवचन के ढांचे में ढालकर सुगम शैली में प्रवाहित किया था और कर रहे हैं । साथ-साथ इन्हें शास्त्रीय एवं आधुनिक प्रत्येक परिप्रेक्ष्य से उजागर करने में उद्यमशील रहे हैं । इन्हीं उद्यमों की फलश्रुति 'धर्मतीर्थ' प्रवचन शृंखला है, जिसका दो भागों में अर्धांश प्रगट हो चूका है ।
SR No.002326
Book TitleAgam Prakashan Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirav B Dagli
PublisherGitarth Ganga
Publication Year2015
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
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