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→ कृति क्रमांक अगर प्रकाशन क्रमांको की संख्या 4 से अधिक हो तो '=' के चिह्न से उनकी कुल संख्या
दी गई है। → उदा. प्रस्तुत उदाहरणानुसार 112, 394, 437, 506, 522%35, यह कर्ता की कुल 5 कृतियों के क्रमांक हैं, जिसे 'K' की संज्ञा से दर्शाया गया है । तथा 1193, 1209, 1229, 1245, यह संपादक के कुल 4 प्रकाशनों के क्रमांक हैं, जिसे 'P' की संज्ञा से दर्शाया गया है ।
* परिशिष्ट 2 - प्रकाशक अनुक्रमणिका (अकारादि सूची) का प्रात्यक्षिक (Demo) #
परिशिष्ट 2 अंतर्गत दिए गए प्रकाशक, पूर्वप्रकाशकों की सूची का परिचय यहाँ प्रात्यक्षिक के माध्यम से दिया गया है । प्रात्यक्षिक में प्रदर्शित उदाहरणों को शीर्षक क्रमांक 1-6 द्वारा विभाजित किया गया है ।
विशेष :- शीर्षक क्रमांक 1 से 6 का इस प्रकाशन सूची से कोई संबंध नहीं है, केवल इस प्रात्यक्षिक को समझाने हेतु इनका उपयोग किया गया है ।
| हिंदी ग्रंथ रत्नाकर कार्यालय | (3) (हिंदी ग्रंथ रत्नाकर प्राईवेट लिमीटेड, Hindi Granth Karyalay),
A मुंबई
67, 103, 848,
920, 962 = 5
1 प्रकाशक क्रमांक :→ प्रकाशक सूची अंतर्गत यह क्रमांक नाम के अकारादि क्रम से दिए गए हैं ।
(2) प्रकाशक नाम :→ प्रकाशन परिचय में प्रयुक्त सभी प्रकाशक एवं पूर्व प्रकाशकों के नाम यहाँ दिए गए हैं ।
(3) अन्य नाम :→ प्रकाशक के अन्य प्रसिद्ध नाम कोष्ठक () में दिए गए हैं ।
(4) स्थल :→ प्रकाशक के स्थान (शहर, राज्य आदि) की जानकारी यथासंभव यहाँ दी गई है।
5) प्रकाशन क्रमांक :→ प्रकाशक, पूर्वप्रकाशक से संलग्न, प्रकाशन परिचयों की जानकारी प्राप्त करने हेतु ये क्रमांक दिये गये
हैं । प्रकाशन क्रमांकों की संख्या 4 से अधिक हो तो '=' के चिह्न से उनकी कुल संख्या दी गई है। → उदा. प्रस्तुत उदाहरणानुसार 7, 103, 848, 920, 962 = 5, यह प्रकाशक के कुल 5 प्रकाशनों के क्रमांक हैं ।