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________________ 208 46. कल्पसूत्र वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद) 2041 (4) 464 (B) 2041 (2) 456 (B) 2043 (अ.)|430 (P) 2045 (2) |188 (B) |2045 (अ.) 172 (P) प्रकाशन नाम एवं परिचय प्रकाशक {ग्रंथमाला) संपादक, संशोधक आदि टीका का अज्ञात कर्तृक (हिं.) अनु.) तत्त्वज्ञान प्रचारक मंडळ {दे.ना.} [T] {1417} 1207 कल्पसूत्र {कल्पसूत्र सह देवेन्द्रमुनिजी | तारक गुरु जैन ग्रंथालय, संपा.-देवेन्द्रमुनिजी शास्त्री शास्त्री कृत (हिं.) अनु., विवे.} {दे.ना.} (P) अमर जैन आगम [[T, S] {1359, 1410} शोध संस्थान | 1208 कल्पसूत्र [KALPASUTRA] प्राकृत भारती अकादमी संपा.-विनयसागरजी {कल्पसूत्र (सचित्र) सह {पुष्प 1} महोपाध्याय विनयसागरजी महो. कृत (हिं.) अनु., मुकुंद लाठ डॉ. कृत (अं.) अनु.} (दे.ना.,रो.) [T, S] {1359, 1397, 1398) 1209 कल्पसूत्र भाषांतर {कल्पसूत्र के सुबोधभाई लालभाई अप्रदर्शित खीमशाही बा.बो. का अमृतलाल अमरचंद सलोत कृत (गु.) अनु.} {गु.) [[T] {1422} 1210 कल्पसूत्र कथासार (सचित्र) {कल्पसूत्र आनंद सुमंगल परिवार संक., संपा.-सुनंदाबेन वोहोरा (सचित्र) की सुबोधिकाटीका का सुनंदाबेन वोहोरा कृत (गु.) सारांश} {गु.} {1437} 1211 सचित्र कल्पसूत्र बारसासूत्र आर्य जयकल्याण केन्द्र संयो.-कलाप्रभसागरसूरि |{कल्पसूत्र (सचित्र) मूल} {दे.ना., ट्रस्ट {100) गु.} {1359) कल्पसूत्रम् (कल्पसूत्र सह सुबोधिका मांडवला जैन श्वे मू.पू. संशो.-अजितशेखरसूरि, टीका और कुलचंद्रसूरिजी कृत टिप्पण |संघ टिप्पण.-कुलचंद्रसूरि, स्वरूप अक्षरगमनिका} {दे.ना.} [T] संपा.-शोभाचंद्रजी भारिल्ल (1359, 1366} 1213 पवित्र श्री कल्पसूत्र खेमशाही] यशोभद्रसूरि (कच्छ संपा.-रत्नप्रभसूरि {कल्पसूत्र सह खीमशाही बा.बो. का सुथरीवाळा) ट्रस्ट | अमृतलाल अमरचंद सलोत कृत (गु.) अनु.} {गु.} [T] {1359, 1422} कल्प-सूत्रम् (कल्पसूत्र सह सुबोधिका | विलेपारला श्वे. मू.पू. जैन संशो.-अजितशेखरसूरि, टीका और कुलचंद्रसूरिजी कृत टिप्पण |संघ एंड चेरीटीझ संपा.-शोभाचंद्रजी भारिल्ल, स्वरूप अक्षरगमनिका) (दे.ना.} [T] टिप्पण. कुलचंद्रसूरि {1359, 1366) पर्युषणा महापर्वनां गुजराती सतीशभाई बाबुलाल शाह | संपा.-हेमेंद्रविजयजी व्याख्यानो {कल्पसूत्र के ज्ञानविमलसूरिजी कृत (गु.) भास सह भद्रंकरसूरिजी कृत (गु.) विवे.) {दे.ना.} [T] {1374, 1429) 1216|पर्युषणाकल्पमाहात्म्यम् (कल्पसूत्र सह | कैलास कंचन भावसागर |अप्रदर्शित मुक्तिविमलजी पं. कृत टीका (व्या.8)} | श्रमण संघ सेवा ट्रस्ट (दे.ना.} {1359, 1379} 1217 कल्पसूत्रम् {कल्पसूत्र सह सुरत तपगच्छ रत्नत्रयी संपा.-युगचंद्रसूरि, युगचंद्रसूरिजी और आराधक संघ ट्रस्ट पुण्यप्रभविजयजी |2045 (अ.) 530 (P) 2045 (3) 612 (P) 1214 2045 (2) 451 (P) 2045 (3) 422 (P) 2046 (2) |106 (P) 2046 (1) 561 (P)
SR No.002326
Book TitleAgam Prakashan Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirav B Dagli
PublisherGitarth Ganga
Publication Year2015
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
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