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46. कल्पसूत्र
वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद)
2041 (4)
464 (B)
2041 (2)
456 (B)
2043 (अ.)|430 (P)
2045 (2) |188 (B)
|2045 (अ.) 172 (P)
प्रकाशन नाम एवं परिचय प्रकाशक {ग्रंथमाला) संपादक, संशोधक आदि टीका का अज्ञात कर्तृक (हिं.) अनु.) तत्त्वज्ञान प्रचारक मंडळ
{दे.ना.} [T] {1417} 1207 कल्पसूत्र {कल्पसूत्र सह देवेन्द्रमुनिजी | तारक गुरु जैन ग्रंथालय, संपा.-देवेन्द्रमुनिजी शास्त्री
शास्त्री कृत (हिं.) अनु., विवे.} {दे.ना.} (P) अमर जैन आगम [[T, S] {1359, 1410}
शोध संस्थान | 1208 कल्पसूत्र [KALPASUTRA] प्राकृत भारती अकादमी संपा.-विनयसागरजी {कल्पसूत्र (सचित्र) सह
{पुष्प 1}
महोपाध्याय विनयसागरजी महो. कृत (हिं.) अनु., मुकुंद लाठ डॉ. कृत (अं.) अनु.} (दे.ना.,रो.) [T, S] {1359,
1397, 1398) 1209 कल्पसूत्र भाषांतर {कल्पसूत्र के सुबोधभाई लालभाई अप्रदर्शित
खीमशाही बा.बो. का अमृतलाल अमरचंद सलोत कृत (गु.) अनु.} {गु.)
[[T] {1422} 1210 कल्पसूत्र कथासार (सचित्र) {कल्पसूत्र आनंद सुमंगल परिवार संक., संपा.-सुनंदाबेन वोहोरा
(सचित्र) की सुबोधिकाटीका का सुनंदाबेन वोहोरा कृत (गु.) सारांश}
{गु.} {1437} 1211 सचित्र कल्पसूत्र बारसासूत्र
आर्य जयकल्याण केन्द्र संयो.-कलाप्रभसागरसूरि |{कल्पसूत्र (सचित्र) मूल} {दे.ना., ट्रस्ट {100) गु.} {1359) कल्पसूत्रम् (कल्पसूत्र सह सुबोधिका मांडवला जैन श्वे मू.पू. संशो.-अजितशेखरसूरि, टीका और कुलचंद्रसूरिजी कृत टिप्पण |संघ
टिप्पण.-कुलचंद्रसूरि, स्वरूप अक्षरगमनिका} {दे.ना.} [T]
संपा.-शोभाचंद्रजी भारिल्ल (1359, 1366} 1213 पवित्र श्री कल्पसूत्र खेमशाही] यशोभद्रसूरि (कच्छ संपा.-रत्नप्रभसूरि
{कल्पसूत्र सह खीमशाही बा.बो. का सुथरीवाळा) ट्रस्ट | अमृतलाल अमरचंद सलोत कृत (गु.) अनु.} {गु.} [T] {1359, 1422} कल्प-सूत्रम् (कल्पसूत्र सह सुबोधिका | विलेपारला श्वे. मू.पू. जैन संशो.-अजितशेखरसूरि, टीका और कुलचंद्रसूरिजी कृत टिप्पण |संघ एंड चेरीटीझ संपा.-शोभाचंद्रजी भारिल्ल, स्वरूप अक्षरगमनिका) (दे.ना.} [T]
टिप्पण. कुलचंद्रसूरि {1359, 1366) पर्युषणा महापर्वनां गुजराती सतीशभाई बाबुलाल शाह | संपा.-हेमेंद्रविजयजी व्याख्यानो {कल्पसूत्र के ज्ञानविमलसूरिजी कृत (गु.) भास सह भद्रंकरसूरिजी कृत (गु.) विवे.)
{दे.ना.} [T] {1374, 1429) 1216|पर्युषणाकल्पमाहात्म्यम् (कल्पसूत्र सह | कैलास कंचन भावसागर |अप्रदर्शित
मुक्तिविमलजी पं. कृत टीका (व्या.8)} | श्रमण संघ सेवा ट्रस्ट
(दे.ना.} {1359, 1379} 1217 कल्पसूत्रम् {कल्पसूत्र सह
सुरत तपगच्छ रत्नत्रयी संपा.-युगचंद्रसूरि, युगचंद्रसूरिजी और
आराधक संघ ट्रस्ट पुण्यप्रभविजयजी
|2045 (अ.) 530 (P)
2045 (3)
612 (P)
1214
2045 (2)
451 (P)
2045 (3)
422 (P)
2046 (2) |106 (P)
2046 (1)
561 (P)