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31. दशवैकालिकसूत्र
वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद) |2060 (1) 120 (D)
931
प्रकाशन नाम एवं परिचय
प्रकाशक {ग्रंथमाला) दशवकालिक चूलिका (बे चूलिकाओकमल प्रकाशन ट्रस्ट, विवेचन) {दश.सूत्र का
अमदावाद {स्वस्तिक चंद्रशेखरविजयजी पं. कृत (गु.) विवे. ग्रंथमाला 39) (चू.2)} {गु.} {1107}
संपादक, संशोधक आदि संपा.चंद्रशेखरविजयजी पंन्यास (2)
2060 (पु.मु.)
318 (B)
2061 (अ.) 208 (D)
934
2061 (अ.) |182 (C)
2061 (1) |50 (P)
2062 (2)
134 (D)
दसकालियसुत्तं
प्राकृत ग्रंथ परिषद संशो., संपा.-पुण्यविजयजी (DASAKALIYASUTTAM) {दश.सूत्र |{ग्रंथांक 17}
(आगमप्रभाकर) सह नियुक्ति, अगस्त्यसिंहजी आचार्य कृत चूर्णि} {दे.ना.} [T, S] {1020,
1021, 1024) 933 दशवकालिक सार्थ (दश.सूत्र सह आलवाडा जैन संघ संयो., संपा.-पुण्यश्रमणप्रशमपूर्णविजयजी कृत (गु.) शब्दार्थ,
विजयजी, प्रशमपूर्णविजयजी अनु.} {गु.} {1020, 1050} सार्थ दशवैकालिक सूत्रम् (संस्कृत गुरु रामचंद्र प्रकाशन संपा.-जयानंदविजयजी छाया सह) {दश.सूत्र सह
समिति जयानंदविजयजी कृत छाया, (हिं.) अनु.} {दे.ना.} [T] {1020, 1045,
1074) 935 दसवैकालिक सूत्रं {दश.सूत्र मूल) जैनानंद पुस्तकालय संपा.-पूर्णचंद्रसागरजी गणि, {दे.ना., गु.) [S] {1020}
पूर्व संशो., पूर्व
संपा.-सागरानंदसूरि 936 कैलास-पद्म स्वाध्याय सागर महावीर जैन आराधना संपा.-पद्मरत्नसागरजी
(दशवैकालिकसूत्र, बृहत्संग्रहणी, केन्द्र लघुक्षेत्र समास) {दश.सूत्र मूल, बृहत्संग्रहणी, लघुक्षेत्र समास) भाग 4 {गु.} {1020} डहेलावाळा स्वाध्याय
रत्नोदय चेरीटेबल ट्रस्ट संपा.-रत्नचंद्रसूरि (दशवैकालिकसूत्र-मूल-पाठः) {सूरिराम स्मरणमाळा 2} {दश.सूत्र मूल) भाग 2 {गु.} {1020} दशवैकालिक सूत्र {दश.सूत्र सह अनेकांत प्रकाशन जैन संपा.चंद्रगुप्तसूरि (#) चंद्रगुप्तसूरिजी कृत (गु.) अनु., प्रव. रिलीजीयस ट्रस्ट (अ.4) भाग 1-3 {गु., दे.ना.)
{1020, 1091} 939 दशवकालिक सूत्र {दश.सूत्र सह | अखिल भारतीय सुधर्म संपा.-नेमिचंदजी बांठिया,
पारसमलजी चंडालिया कृत (हिं.) जैन संस्कृति रक्षक संघ पारसमल चण्डालिया शब्दार्थ, अनु, विवे.} {दे.ना.} [T] | {रत्न 130)
{1020, 1052) 940 कलापूर्ण स्वाध्याय (दशवैकालिकसूत्र कलापूर्ण जैन आराधक संपा.-अमितयशविजयजी
सार्थ) {दश.सूत्र सह भद्रंकरसूरिजी कृत मंडल (गु.) अन्व., विवे. (अ.6-10, चू.2)} भाग 15-16 {गु.} {1020, 1059 }
937
2062 (अ.) 160 (E)
2063| 2067 (1)
|160+180+ 1823522 (C)
|2064 (2)
348 (B)
2064 (2)
219+220= 439 (E)
(2)