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15. प्रज्ञापनासूत्र
वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद)
2065 (पु.मु.)
| 381+246%D 627 (P)
2065 (अ.) 290 (C)
क्र. प्रकाशन नाम एवं परिचय प्रकाशक {ग्रंथमाला) संपादक, संशोधक आदि 569 प्रज्ञापनोपागम् (प्रज्ञा.सूत्र सह मलय. आगमोद्धारक श्रुतसेवा सपा.-सागरानदार
टीका) भाग 1-2 (दे.ना., गु.) [T,s] समिति, (P) आगमोदय {579, 581)
समिति {श्रेणी 31} 570 सुत्तागमे (गुजराती) [प्रज्ञापना सूत्र जैनागम नवनीत प्रकाशन संपा.-तिलोक मुनि
संपूर्ण] {प्रज्ञा.सूत्र मूल) भाग 6 {गु.) समिति
{579) 571 आगम सटीक अनुवाद
श्रुत प्रकाशन निधि संपा.-दीपरत्नसागरजी (2) (प्रज्ञापना-1-3) (प्रज्ञा.सूत्र का दीप.कृत (गु.) अनु., टीकानुसारी विवे.) भाग-20, 21, 22 (गु.)
{601,607} 572 प्रज्ञापनासूत्रम् {प्रज्ञा.सूत्र की हारि. जिनशासन आराधना पूर्व संशो., पूर्व टीका) भाग 1-2 (दे.ना.} [S] {580) ट्रस्ट, (P) ऋषभदेव संपा.-सागरानंदसूरि (2)
केशरीमलजी जैन श्वेतांबर संस्था {प्राचीन श्रुत समुद्धार पद्ममाला, पद्म 45)
2066 (अ.)208+224+
2243656 (C)
2067
106+96%3D 202 (P)
16. सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र (573-582) 573 सूर्यप्रज्ञप्त्युपाङ्गम् {सूर्य.सूत्र सह आगमोदय समिति संशो., संपा. सागरानंदसूरि (2) | 1975 (1) 302 (P)
मलय. टीका) {दे.ना.) [T,S]
{611, 612} 574 सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र (सूर्य.सूत्र सह राजा बहादुर लालासुखदेव संपा.-अमोलकऋषि 1976 (अ.) 420 (P)
| अमोलकऋषिजी कृत (हिं.) अनु.) सहायजी ज्वालाप्रसादजी {दे.ना.} {611, 615)
जौहरी 575 सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रम् {सूर्य.सूत्र सह घासी. अखिल भारतीय श्वेतांबर नियो.-कन्हैयालालजी मुनि 2038 (1) 1068+1104 कृत छाया, टीका, (हिं., गु.) स्वोपज्ञ स्थानकवासी जैन
32172 (B) टीकानु.) भाग 1-2 {दे.ना., गु.) शास्त्रोद्धार समिति
{611,613,614,620,621) 576 सूर्यप्रज्ञप्तिस्त्रम् (सूर्य.सूत्र की घासी. अखिल भारतीय श्वेतांबर | नियो.-कन्हेयालालजी मुनि 2038 (1) 410+409%D कृत टीका का (गु.) स्वोपज्ञ अनु.,} स्थानकवासी जैन
819 (B) भाग 1-2 {गु., दे.ना.} {621) शास्त्रोद्धार समिति सूर्यप्रज्ञप्त्याख्यमुपाङ्गम् (सूर्य.सूत्र सह जिनशासन आराधना पूर्व संशो., पूर्व
2049 302 (P) मलय. टीका} {दे.ना., गु.} [T, S] ट्रस्ट, (P) आगमोदय संपा.-सागरानंदसूरि (#) (पु.मु.) |{611,612)
समिति 578 45-आगमसुत्ताणि (सूर पन्नत्ती) आगम श्रुत प्रकाशन संशो., संपा.-दीपरत्नसागरजी |2052 (अ.) 72 (C)
{सूर्य.सूत्र मूल} {दे.ना., गु.} [s]
(611) 579 सूर्य प्रज्ञप्ति सूत्रम् (पञ्चमं उपाङ्गम्) हर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला संशो., संपा.-जिनेन्द्रसूरि 2055 (1) 442 (P)
(सूर्य.सूत्र सह मलय. टीका} {दे.ना.} {ग्रं. 349)
| [S] {611,612} 580 सूर्यप्रज्ञप्त्युपाङ्गम् (सूर्य.सूत्र मूल} जैनानंद पुस्तकालय संपा.-पूर्णचंद्रसागरजी गणि, 2061 (1) 126 (P) {दे.ना., गु.} [S] {611}
पूर्व संशो., पूर्व संपा.-सागरानंदसूरि
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