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________________ क्र. | प्रकाशन नाम एवं परिचय 558 45- आगमसुत्ताणि (पन्नवणा सुत्तं) {प्रज्ञा. सूत्र मूल} {दे.ना., गु. } [s] (579) आगम सुत्ताणि (सटीकं) (प्रज्ञापनाउपाङ्गसूत्रम् 1-2 ) ( प्रज्ञा. सूत्र | सह मलय. टीका) भाग 10, 11 (दे.ना.. गु.) (3) (579,581) 559 560 प्रज्ञापनासूत्रम् {प्रज्ञा. सूत्र सह मलय. | टीका} भाग 1-2 (दे.ना., गु.) [T, S] {579, 581) 561 अभ्युदय आगम सुत्ताणि (पन्नवणा सुत्तं) (प्रज्ञा. सूत्र मूल} भाग 15 (दे.ना. } {579} 562 प्रतापनोपाङ्गसूत्रम् (प्रज्ञा सूत्र सह मलय. टीका, हारि. टीका) भाग 1-2 (दे.ना.) [T, S] [579, 580, 581) 563 प्रज्ञापना सूत्र (प्रज्ञा. सूत्र सह सुधाबाई महासतीजी कृत (गु.) अनु., विवे. } भाग 1-3 (गु दे. ना.) (S) (579, 603) 564 प्रज्ञापना सूत्रम् (प्रज्ञा. सूत्र सह मलय. | टीका} भाग 1-2 {दे.ना., गु. } [T, S] {579, 581} 565 पन्नवणा सूत्र (प्रज्ञा. सूत्र सह | भगवानदास हर्षचंद्र दोशी पं. कृत (गु.) अनु., मलय. टीकानु. } भाग 1-2 {गु., दे. ना. } [T, S] (579, 597, 604} 566 प्रज्ञापनोपांगम् (प्रज्ञापना सूत्रम्) (प्रशा. सूत्र मूल) (दे. ना. गु. (8) {579} 567 प्रज्ञापनोपाड़गम (पूर्वभाग उत्तरभागश्च) (प्रज्ञा. सूत्र की हारि टीका) (दे.ना.) [8] (580) 568 प्रज्ञापनासूत्रम् (प्रज्ञा. सूत्र सह मलय. टीका) भाग 1-2 (दे.ना. } [T, S] {579, 581) आगम प्रकाशन परिचय | प्रकाशक (ग्रंथमाला} आगम श्रुत प्रकाशन आगम श्रुत प्रकाशन आगमोद्धारक जैन ग्रंथमाला, (P) आगमोदय समिति गुरुप्राण फाउन्डेशन, | महावीर सेवा ट्रस्ट, राजकोट । आगमबत्रीसी रत्न 26 } रत्नसागर प्रकाशन निधि संयो. - जितरत्नसागरसूरि, संशो. दीपरत्नसागरजी. संपा. चंद्ररत्नसागरसूरि आनंद प्रकाशन, अमदावाद, (P) आगमोदय समिति | हर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला संशो., संपा. -जिनेन्द्रसूरि {ग्रं. 373} | गुरु रामचंद्र प्रकाशन | समिति, (P) शारदा मुद्रणालय | संपादक, संशोधक आदि संशो, संपा. दीपरत्नसागरजी | जैनानंद पुस्तकालय संशो. संपा. दीपरत्नसागरजी | संपा. अक्षयचंद्रसागरजी गणि पूर्व संपा. सागरानंदमूरि | प्रधान संपा. लीलमबाई महासतीजी, सहसंपादिका आरतीबाई महासतीजी डॉ. | सुवोधिकाबाई साध्वी जिनशासन आराधना | ट्रस्ट, (P) ऋषभदेव | केशरीमलजी जैन श्वेतांबर संस्था, (P) जैन पुस्तक प्रचारक संस्था जिनशासन आराधना | ट्रस्ट, (P) आगमोदय समिति (प्राचीन श्रुत | समुद्धार पद्ममाला पद्म 8 } | संपा. अक्षयचंद्रसागरजी गणि, पूर्व संपा. सागरानंदसूरि संशो - मुनिचंद्रसूरि, संशो.. | संपा. जयानंदविजयजी पूर्व संशो. पूर्व संपा. सागरानंदसूर (#) पूर्व संशो. पूर्व संपा. सागरानंदसूरि (#) वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद) 2052 (3T.) 208 (C) 2056 (3T) 320+336= 656 (C) 2056 (पु.मु.) 2057 (1) 211 (E) 2057 (1) 2060 2061 (1) | संपा. पूर्णचंद्रसागरजी गणि, पूर्व 2061 (1) संशो., पूर्व संपा. सागरानंदसूरि 2061 (पु.मु.) 2061 (पु.मु.) 2061 (पु.मु.) 2064 (पु.मु.) 145 397+238= 635 (P) 730+448= 1178 (P) 542+586+ 488=1616 (B) 387+238= 625 (P) 548+400= 948 (B) | 360 (P) | 206 (P) 764+488= 1252 (P)
SR No.002326
Book TitleAgam Prakashan Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirav B Dagli
PublisherGitarth Ganga
Publication Year2015
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
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