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13. राजप्रश्नीयसूत्र
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क्र. प्रकाशन नाम एवं परिचय प्रकाशक {ग्रंथमाला) संपादक, संशोधक आदि वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद)
मलय. टीका} {दे.ना.} [T,S]
{535, 536) 507 पएसि-कहाणयं [PAESI
A. T. Upadhye संशो., संपा.-A.T. Upadhye 1992 (1) 256 (B)
| {Sanskrit & Prakrit |KAHANAYAM] {राज.सूत्र सह
|Jain Lite. Series3} A. T. Upadhye कृत (अं.) अनु. (वि.दूसरा)} {रो., दे.ना.} [T,S]
[{535, 546} 508 रायपसेणियसुत्त (राज.सूत्र सह Hiralal B. Gandhi संपा.-हीरालाल बी. गांधी 1994 (अ.) 315 (D)
हीरालाल गांधी कृत (अं.) अनु. (वि.1→सूत्र 46)} Part 1{रो., अ.ना.}
[T] {535, 547) 509 रायपसेणियं (राज.सूत्र मूल} {दे.ना., के. एल. मुणोत संशो.,संपा.-H. H. Shah, 1994 (अ.) |106 (A) रो.} [S] {535)
K.L. Munot रायपसेणइय-सुत्तं {राज.सूत्र सह मलय. गूर्जर ग्रंथरत्न कार्यालय, संशो., संपा.-बेचरदास जीवराज 1994 (अ.) 570 (P) टीका, बेचरदास जीवराज दोशी पं. कृत शंभुलाल जगशी शाह । दोशी पंडित (गु.) अनु., टिप्पन} {दे.ना.} [T,S] {प्राकृत ग्रंथमाला 9)
{535, 536, 553} 511 रायपसेणईय सुत्त {राज.सूत्र का लाधाजी स्वामी जैन अप्रदर्शित
2004 (2) 260 (D) बेचरदास जीवराज दोशी पं. कृत पुस्तकालय {मणको 24} (गु.) अनु., टिप्पन) {गु.} [s]
{553} 512 | राजप्रश्नीयसूत्रम् (राज.सूत्र का घासी. अखिल भारतीय श्वेतांबर नियो. कन्हैयालालजी मुनि 2022- 289+1813 कृत (गु.) अनु., स्वोपज्ञ टीकानु.) स्थानकवासी जैन
2046 (2) 470 (B) भाग 1-2 (गु., दे.ना.} {548, 559) शास्त्रोद्धार समिति
अखिल भारतीय श्वेतांबर नियो.-कन्हैयालालजी मुनि |2022- 710+490%3D कृत छाया, टीका (हिं., गु.) अनु., स्थानकवासी जैन
2046 (2) 1200 (B) स्वोपज्ञ टीकानु.} भाग 1-2 {दे.ना., शास्त्रोद्धार समिति गु.) {535, 542,543,548, 549,
558,559) 514 राजप्रश्नीयसूत्रम् (राज.सूत्र सह मलय. |जिनशासन आराधना पूर्व संशो., पूर्व
2047 152 (P) टीका) (दे.ना.} [T, S] {535, 536) ट्रस्ट, (P) आगमोदय संपा.-सागरानंदसूरि (2) (पु.मु.)
समिति (आगम प्रकाशन
माला 15) 515 राजप्रश्नीयसूत्रम्
आगम प्रकाशन समिति, प्रधान संपा.-मिश्रीमलजी मुनि, 2048 (2) 284 (B) (RAJAPRASHNIYA SUTRAM]
ब्यावर (जिनागम संपा.-रतनमुनि, देवकुमार जैन {राज.सूत्र सह रतन मुनिजी और
ग्रंथमाला ग्रंथांक 15} देवकुमार जैन कृत (हिं.) अनु., विवे.) {दे.ना.) [T, S] {535, 554} राजप्रश्नीयद्वितीयमुपाङ्गम् {राज.सूत्र हर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला संशो., संपा.-जिनेन्द्रसूरि 2051 (1) 226 (P) सह मलय. टीका} {दे.ना.) [s] {ग्रं. 319)
{535, 536) 517 45 आगमसुत्ताणि (रायपसेणियं) | आगम श्रुत प्रकाशन संशो., संपा.-दीपरत्नसागरजी 2052 (अ.) 72 (C)
{राज.सूत्र मूल} {दे.ना., गु.} [S]{535}