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| प्रकाशन नाम एवं परिचय
|{गु., दे.ना. } [T] {261 }
270 प्रवचन पुष्प (भग. सूत्र के शंख श्रावक के अधिकार के लीलावतीबाई महासतीजी कृत (गु.) प्रव. 85 (श्रु. 1श. 12 उ.1)} (गु.) {270}
क्र.
271 आगमोद्धारक प्रवचन श्रेणि
(भग. सूत्र के सागरानंदसूरिजी कृत (गु.) प्रव. 186-233 (श्रु. 1श. 8वाँ ) ) भाग 6 (गु.} {262 }
272 व्याख्याप्रज्ञप्तिः (भगवतीसूत्रम्) { भग. सूत्र सह अभय. टीका (श्रु.1 श. 7 ) } विभाग 1 (दे.ना. } [T, S] [198, 200 }
273 भगवतीसूत्र सारसंग्रह [भग सूत्र के पूर्णानंदविजयजी पं. कृत (हिं.) विवे (श्रु. 1श. 1220) } भाग 3 (दे.ना. } {257}
276 भगवतीसूत्र सारसंग्रह (शतक-21-41 ) भगसूत्र का पूर्णानंदविजयजी पं. कृत (हिं.) विवे. (श्रु. 1. 21-41 ) } भाग 4 [दे.ना.) (257)
277 नियंठा- संजया (निर्ग्रथ संयत) (सानुवाद) (भग. सूत्र सह | कन्हैयालालजी मुनि कृत (हिं.) अनु. (श्रु.1 श. 253.6-7)} (दे.ना. } [T, S] [198, 241 }
आगम प्रकाशन परिचय
278 भगवतीसूत्र सारसंग्रह (भग. सूत्र का पूर्णानंदविजयजी पं. कृत (गु.) विवे और विद्याविजयजी कृत (.1.6) का सारांश भाग 1-4 (गु.) [T] {256, 277}
| प्रकाशक ( ग्रंथमाला }
274 भगवतीसूत्रनां प्रवचनो (भगसूत्र के मुक्ति कमल मोहन जैन
धर्मसूरिजी कृत (गु.) प्रव. 15
ज्ञान मंदिर (पुष्प 57 }
( श्रु. 1. 1.1)) (गु.} [T] (264)
279 व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र ( भग. सूत्र सह अमरमुनिजी उप. कृत (हिं.) अनु.,
स्थानकवासी जैन संघ, अमदावाद
275 भगवतीसूत्र ( भग. सूत्र सह वीरपुत्रजी
अखिल भारतीय सुधर्म मुनि कृत (हिं.) शब्दार्थ, अनु, विवे. जैन संस्कृति रक्षक संघ | भाग 1-7 (दे.ना. } [T, S] {198, 229)
(रत्न 12}
आनंद हेम ग्रंथमाळा
| महावीर जैन साहित्य प्रकाशन नेमुभाई बाही जैन उपाश्रय संघ, (P) आगमोदय समिति (8) { पुष्प 5} अप्रदर्शित (#)
आगम अनुयोग ट्रस्ट,
अमदावाद
| विद्याविजयजी स्मारक ग्रंथमाला
संपादक, संशोधक आदि
आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर (जिनागम
संपादिका - लीलावतीबाई महासती (#)
संपा. हेमसागरसरि, सह | संपा. राजरत्नसागरजी
संपा. अरुणविजयजी पंन्यास
संशो. संपा. यशोदेवसूरि
संपा. वीरपुत्रजी महाराज
| संपा. पूर्णानंदविजयजी पंन्यास 2039 (1)
(#)
| संपा. - कन्हैयालालजी मुनि (कमल)
वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद)
2036 (1)
2037 (2)
संपा. - अमरमुनिजी उपप्रवर्तक, श्रीचंद सुराणा, प्रधान संपा.,
2038 (पु.मु.)
2041 (4)
20422043 (2)
2043 (1)
संपा. पूर्णानंदविजयजी पंन्यास 2035
2044 (3)
जगजीवनदास कस्तुरचंद संपा. पूर्णानंदविजयजी पंन्यास 2042 (1) 60 (D) शाह
(#)
707 (B)
20482051 (2)
360 (C)
337 (P)
566 (C)
640 (D)
117
550+560+ 506...=3978 (B)
| 304 (E)
606+618+ 690...=2514 (D)
568+660+ 836...=2958 | (B)