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5. भगवतीसूत्र
क्र. प्रकाशन नाम एवं परिचय प्रकाशक {ग्रंथमाला) संपादक, संशोधक आदि वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद)
(भग.सूत्र के लब्धिसूरिजी के प्रव. का संस्कृति केन्द्र, मुंबई जसराजजी सिंघी कृत (हिं.) भाषां. (शास्त्र प्रस्तावना, अरिहंतपद, सिद्धपद)} भाग 1-3 {दे.ना.)
[T] {268) 262 अर्थागम (ARTHAGAMA)
सूत्रागम प्रकाशक समिति संपा.-फूलचंद्रजी मुनि 2028 (1) 786 (B) (भगवतीसूत्र) {भग.सूत्र का वीरपुत्रजी
(पुष्फभिक्खु) मुनि कृत (हिं.) अनु.) खंड 2 {दे.ना.)
[[T] {229) 263 शाश्वती ओळीना तात्विक कैलास कंचन भावसागर अ.त.,संग्रा.,
2030 (अ.) 714 (C) व्याख्यानो, प्रशमरति अने
श्रमण संघ सेवा ट्रस्ट संपा.-हेमसागरसूरि संबंधकारिका, आगमोद्धारक भगवती {आनंद हेम ग्रंथमाला 8} देशना संग्रह {भग.सूत्र के |सागरानंदसूरिजी कृत (गु.) प्रव.34-83 (श्रु.1→श.1→उ.1), प्रशमरति और संबंधकारिका के प्रव.} भाग 2 {गु.,
दे.ना.} [T] {261) 264 भगवतीसूत्र अवचूरिः {भग.सूत्र की देवचंद लालभाई जैन संशो., संपा.-सागरानंदसूरि (2) 2030 (1) 252 (P)
अज्ञात कर्तृक अव., हर्षकुल गणिजी पुस्तकोद्धार फंड कृत टीका) {दे.ना.} [T, S] {ग्रंथांक 114}
| (201, 203} 265 वियाहपण्णत्तिसुत्तं (भग.सूत्र) महावीर जैन विद्यालय संपा.-बेचरदास जीवराज दोशी | 2030-. 1544+676+ (भग.सूत्र मूल) भाग 1-3 {दे.ना., गु., {जैन आगम ग्रंथमाला पंडित
2038(1) 554-1774
(B) रो.} [T, S] {198}
ग्रं.4-(1)} शारदा सरिता {भग.सूत्र आधारित सुधर्मा ज्ञानमंदिर संपादिका-कमळाबाई 2030 (2) 994 (B) जमालीकुमार के अधिकार और
महासतीजी, संगीताबाई साध्वी गुणसेन-अग्निशर्मा चरित्र संबंधित शारदाबाई महासतीजी कृत (गु.) प्रव.118 (श्रु.1→श.9-→उ.33वाँ)) {गु.} {269) |भगवती सत्रना व्याख्यानो (सिद्धपद लब्धिसरीश्वरजी स्मारक संपा-राजयशसरि
2032 (अ.) 552 (D) विवेचन) {भग.सूत्र के लब्धिसूरिजी संस्कृति केन्द्र, मुंबई कृत (गु.) प्रव. (श्रु.1→श.1→3.1))
|भाग 3 (2) (गु., दे.ना.} [T] {263} 268 आगमसुधासिंधुः (भगवतीसूत्र) हर्षपुष्यामृत जैन ग्रंथमाला संशो., संपा.-जिनेन्द्रसूरि । 2032- 460+416%3D {भग.सूत्र मूल) भाग 2,3 {दे.ना.} {ग्रं.64)
2033 (अ.) 876 (B) [[s] {198)
266
संशो., संपा.-हेमसागरसूरि
2035 (अ.) 747 (C)
सीमंधरस्वामि जैन ज्ञानमंदिर
269 |आगमोद्धारक देशना समुच्चय तथा
सिद्धचक्र माहात्म्य (भगवतीसूत्र उपरनां 33 व्याख्यानो) {भग.सूत्र के सागरानंदसूरिजी कृत (गु.) प्रव.33 (मंगलाचरण) (श्रु.1→श.1→उ.1) और नवपद प्रव.) भाग 1