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आगम प्रकाशन परिचय
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प्रकाशन नाम एवं परिचय प्रकाशक (ग्रंथमाला) संपादक, संशोधक आदि वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद) [SAMAVAYANGA SUTRAM] स्थानकवासी जैन {सम.सूत्र का घासी. कृत (गु.) शास्त्रोद्धार समिति स्वोपज्ञ टीकानु.} {गु., दे.ना.)
{196} 209 समवायाङ्गसूत्रम्
अखिल भारतीय श्वेतांबर नियो.-कन्हैयालालजी मुनि 2018 (1) 1212 (B) (SAMAVAYANGASUTRAM) स्थानकवासी जैन (सम.सूत्र सह घासी. कृत टीका, (हिं., गु.) स्वोपज्ञ टीकानु.} {दे.ना., गु.)
{175, 180, 195, 196} | 210 समवायाङ्ग (सानुवाद, सपरिशिष्ट) आगम अनुयोग प्रकाशन संक., संपा.-कन्हैयालालजी मुनि 2023 (1) 520 (E) {सम.सूत्र सह कन्हैयालालजी मुनि
(कमल) कृत (हिं.) अनु.} {दे.ना.} [T, S] {175, 184) समवायांग सूत्रम् (सम.सूत्र मूल} भाग हर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला संशो., संपा.-जिनेन्द्रसूरि 2031 (अ.) 104 (c) | 1/4 {दे.ना.} [S] {175}
{ग्रं. 67} 212 समवायांग सूत्र {सम.सूत्र सह प्रेम जिनागम प्रकाशन संपा.-शोभाचंद्रजी भारिल्ल |2035 (1) 238 (B)
सुमनबाई महासतीजी कृत (गु.) अनु.} | समिति (प्रेम {गु., दे.ना.) {175, 186)
जिना.प्रका.ग्रं. 11) 213 समवाओ (सम.सूत्र सह कनकश्रीजी जैन विश्व भारती संपा.-महाप्रज्ञजी आचार्य |2040 (1) 467 (B)
कृत छाया, महाप्रज्ञजी आदि कृत (हिं.) अनु., टिप्पन} {दे.ना.) [T, S] {175, 179, 191) समवायाङ्ग सूत्रम् {सम.सूत्र सह हर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला संशो., संपा.-जिनेन्द्रसूरि 2045 (1) 338 (P) अभय.टीका) {दे.ना.) [T,S] {ग्रं. 191}
{175, 176} 215 समवाय-सुत्तं (SAMAVAY-SUTTAM) प्राकृत भारती अकादमी, संपा.-चंद्रप्रभसागरजी 2046 (अ.) 322 (C)
{सम.सूत्र सह चंद्रप्रभसागरजी महो. जैन श्वेतांबर नाकोडा महोपाध्याय कृत (हिं.) अनु.} {दे.ना.} {175, 187} | पार्श्वनाथ तीर्थ, मेवानगर,
जितयशाश्री फाउंडेशन
{पुष्प 74} 216 समवायांग सूत्र (गुटका संस्करण) आगम अनुयोग ट्रस्ट, संयो.-विनयकुमारजी मुनि, 2048 (अ.) 380 (E) {सम.सूत्र मूल) (दे.ना.} {175} अमदावाद
संपा.-कन्हैयालालजी मुनि
(कमल) समवायागसूत्रम् (सम.सूत्र सह | जिनशासन आराधना पूर्व संशो., पूर्व
2051 164 (P) अभय. टीका) (दे.ना., गु.) [T, S] ट्रस्ट, (P) आगमोदय संपा.-सागरानंदसूरि (#) {175, 176)
समिति 21845 आगमसुत्ताणि [समवाओ) आगम श्रुत प्रकाशन संशो., संपा.-दीपरत्नसागरजी |2052 (अ.) 80 (C)
| {सम.सूत्र मूल} {दे.ना., गु.)
{175) 219 समवायाग सूत्र (सम.सूत्र सह अखिल भारतीय सुधर्म संपा. नेमिचंदजी बांठिया, 2054 (1) 424 (B)
वीरपुत्रजी मुनि कृत (हिं.) शब्दार्थ, जैन संस्कृति रक्षक संघ पारसमल चण्डालिया | अनु., विवे.} {दे.ना.) [T] {रत्न 86}
{175, 181} 220 समवायांग सूत्र (सम.सूत्र सह
गुरुप्राण फाउन्डेशन प्रधान संपा.-लीलमबाई 2054 (1) 408 (B)
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(प.म.