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81. आगम सज्झाय आदि
क्र.
स्वरूप
संवत्
पे. | कर्ता 2 | रत्नसागरजी (#)
1558
कृति विशेषनाम*भाषा*गद्य-पद्य-परिमाण आदि-अंत प्र.क्र. (गु.) * पद्य * गाथा 23/18 (वीर जिणंद वांदीने...ते मुनिवरना पाया।।} {1749, 1768, 1781, 178434}
1559
3 | यशोविजयजी महोपाध्याय वि. 1725#
साधुगुण की सज्झाय * (गु.) * पद्य * ढाल 4/ सर्वगाथा 41, प्रशस्ति 1 (सद्गुरु एहवा सेविये, ...साहुण जससिसेण एए।।111) {1748, 1794)
1560
4 | यशोविजयजी महोपाध्याय | वि. 1725#
1561
5 ज्ञानविमलसूरि
वि. 17282
45 आगम नामगर्भित सज्झाय * (गु.) * पद्य * गाथा 13 (अंग ईग्यार (अगीयार) ने...ते शिव वरे।।1311) {1766, 1772, 1782, 1784, 1785, 179436) अग्यार अंग अने बार उपांगनी सज्झाय * (गु.) * पद्य * गाथा 6 {अंग अग्यार सोहामणा...शुं नेह तो।।6।।} {1748, 1784, 1792 मोहनीयकर्मबंधना 30 स्थाननी सज्झाय * (गु.) * पद्य * गाथा 5 {जिनशासन जाणी आणी...भाख्या विस्तारथी अधिकार।। 511} {1792} (मा.गु.) * पद्य * ढाल 21 । सर्वगाथा 289, कळश 4+9 {प्रेमे पास जिणंदनां...वरीये. भविजन 9} {1759, 1784, 1792)
1562
16 | ज्ञानविमलसूरि
वि. 17282
1563
7 | ज्ञानविमलसूरि
वि. 17282
1564
|8| यशोविजयजी महोपाध्याय | वि. 1744
1565
9 विनयचंद्रजी
वि. 1755
1566
10
हरखसागरजी
| वि. 1798
1567 छत्रीशी (3)
पार्श्वचंद्रसूरि
वि. 1554#
1568 पूजा (4)
|1| उत्तमविजयजी गणि
वि. 1834
'प्रत्येक अंग की' * (गु.) * पद्य * सज्झाय 11, कळश 6 {आचारांग पहेलुं कर्तुं...कीधो ए सुपसाय. टो० 6} {1748, 1766, 1794} 'प्रत्येक अंग की' * (गु.) * पद्य * सज्झाय 11, कळश 7 {पहेलो अंग सोहामणो...सज्झाय कि; स०11711) {1755, 1761,1764,178434} 45 आगम की सज्झाय * (मा.गु.) * पद्य * गाथा 14 {प्रणमी शांतिजिनेश्वर पाया, ...दिलमा भासे रे... (भविकाo) ||1411) {1784} आगम छत्रीशी * (मा.गु.) * पद्य * ढाल 41 सर्वगाथा 36, कळश 36-36 {सुहगुरु चरण कमल...आणंदे पार्श्वचंद्रसूरिंदे भणिय।।3611) {1753} 45 आगम पूजा * (मा.गु.) * पद्य * ढाल 51 सर्वगाथा 75. प्रशस्ति गाथा-11 {सुखकर साहिब सेवीइं...जयकार विशाला जी।।1111) {1789) 45 आगम पूजा * (गु.) * पद्य * ढाल 8/ सर्वगाथा 133, कळश गाथा 5 {श्री शंखेश्वर पासजी, ...रस गावे. नित०।।511} {49, 298, 1765, 1776, 1788%5} 45 आगम पूजा * (ग.) * पद्य *ढाल 45/ सर्वगाथा 330, कळश गाथा 5+7 (भविक जीव हितकारिणी,...सुख पाया रे।।711} {49, 148, 298, 1027, 1030, 1758, 1777, 1780, 1783, 1787, 1788, 1790, 1791, 1793, 1795%D15) 45 आगम की वीरविजयजी पं. कृत पूजा का अनु. * (गु.) * गद्य * (ढाल 8) {1765} | रूपविजयजी कृत 45 आगम पूजा का अनु. * (गु.) * गद्य * (ढाल 45) {1793}
1569
2| वीरविजयजी पंन्यास
वि. 1881
|15701
3 रूपविजयजी पंन्यास
| वि. 1885
1571 अनु. (5)
|1| कुंवरजी आणंदजी शाह
वि. 1992P
1572
2 प्रद्युम्नसूरि
वि. 2060P