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आगम कृति परिचय
स्वरूप
पे. कर्ता
संवत्
कृति विशेषनाम भाषा गद्य-पद्य परिमाण आदि-अंत*प्र.क्र.
1123, 1125, 1126, 1127, 1128, 1129, 1131, 1132, 1365, 1370, 1378, 1393, 1394, 1396, 1406, 1447,
1510, 1518336} 1330 चूर्णि (2) जिनदासगणिजी महत्तर वि. 733# (प्रा., सं.) * गद्य * (द्वार 4) ग्रं.2268 {कंचि पंचविहायारजाणगं
तप्परूवणे...सो सव्वणयसम्मतो भवतीति।) {1108, 1121,
1124, 1131=4} 1331 टीका (3) 1 हरिभद्रसूरि
वि. 833# "शिष्यहिता टीका' * (सं.) * गद्य * (द्वार 4) ग्रं.3000
{प्रणिपत्य जिनवरेन्द्रं त्रिदशेन्द्रनरेन्द्रपूजितं...लभतां भव्यो
जनस्तेन।।} {1108, 1121, 1131) 1332 | 2 | हेमचंद्रसूरि (मलधारी) | वि.1164%# (सं.) * गद्य * (द्वार 4), प्रशस्ति श्लोक-14 ग्रं.5800
(सम्यक्सुरेन्द्रकृतसंस्तुतिपादपद्ममुद्दामकामकरिराजकठोरसिंहम्। सद्धर्मदेशकवरं वरदं...तत्समर्थने चानुयोगद्वारशास्त्रं समाप्तम्।।) {1100, 1101, 1107, 1110, 1115,
1121,1127, 1128, 1129,1131, 1132,1518%D12} 1333 बा.बो. (4) मोहन
वि. 1662 मलधारीय टीका का बा.बो. * (मा.गु.) * गद्य * (द्वार 4)
{प्रणिपत्य जिनं मूर्द्धा...श्रीअनुयोगद्वारसूत्रबालावबोधः
समाप्तः } {1100) 1334 सज्झाय (5) उदयसागरसूरि
वि. 1778 षड्भाव प्रकाश की सज्झाय * (गु.) * पद्य * ढाल 9/सर्वगाथा
85, कळश 1 {श्री सद्गुरुना प्रणमी...ज्ञानसागर सुख करे)
{1784) 1335 जोड (6) जयाचार्य
वि. 1860# मूल एवं वृत्ति की जोड * (राज.) * पद्य * ढाल 2 /
सर्वगाथा 92 {अर्हन् सिद्ध साधु...एह प्रत्यक्ष ही।।51।।)
{1119) | 1336 छाया (7) |1| घासीलालजी महाराज (#) | | वि. 2023P | (सं.) * गद्य, पद्य * (द्वार 4) {1111) 1337 | ज्ञानमुनि
वि. 2047P (सं.) * गद्य, पद्य * (द्वार 4) {1117) 1338
| महाश्रमणजी आचार्य वि. 2052P | (सं.) * गद्य, पद्य * (द्वार 4) {1119} 1339 अर्वा. टीका घासीलालजी महाराज | वि. 2009 'अनुयोग चंद्रिका' * (सं.) * गद्य * (द्वार 4), प्रशस्ति श्लोक-5 (8)
{शिवसरणिविधानं जीवरक्षकतानं, सुरनरकृतगानं...सम्पूर्णमनुयोगद्वारसूत्रमिति प्रदर्शयितुमाह-अनुयोगद्वाराणि समाप्ता
नीति।।) {1111) 1340 शब्द., अनु., 1 | सुबोधिकाबाई साध्वी ।
| (गु.) * गद्य * (द्वार 4) {1122} विवे. (9) 1341
2 | छगनलालजी शास्त्री डॉ., वि. 2061P | (हिं.) * गद्य * (द्वार 4) {1125)
महेन्द्रकुमार रांकावत डॉ. 1342 अन्व., अनु., | ज्ञानमुनि
वि. 2047P | ‘आत्म-ज्ञान-पीयूषवर्षिणी भाषाटीका' * (हिं.) * गद्य * (द्वार विवे. (10)
4) {1117) 1343 अन्व., अनु. आत्मारामजी आचार्य | वि. 1972 | 'ज्ञानप्रबोधिनी भाषाटीका' * (हिं.) * गद्य * (द्वार 4), प्रशस्ति (11)
(सं.) श्लोक-11 {1104,1109) 1344 अनु. (12) | 1 | अमोलकऋषि
वि. 1976P (हिं.) * गद्य * (द्वार 4) {1106} 1345 2 | Taiken Hanaki
वि. 2026P (अं.) * गद्य * (द्वार 4) {1112)