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आगम कृति परिचय
संवत्
वरूप पे. कर्ता
| कृति विशेषनाम भाषा*गद्य-पद्य परिमाण आदि-अंत:प्र.क्र. 1288 | 2 | मलयगिरिसूरि
वि. 1150# | (सं.) * गद्य * (अ. 1), प्रशस्ति श्लोक-5 ग्रं.7732 {जयति
भुवनैकभानुः सर्वत्राविहतकेवलालोकः।...मित्यादि, तदेतच्छ्रुतज्ञानं, तदेतत्परोक्षमिति।।) {1063, 1077, 1084, 1086, 1089,
1097,1098,1518%D8} 1289 अवचूरि (4) अज्ञात
(सं.) * गद्य * (अ. 1) ग्रं.1605 {अथ नन्दिरिति कः...तदेतत्
परोक्षम् इति।।} {1071, 1084} 1290 टिप्पण (5) 1 श्रीचंद्रसूरि
वि. 1173# | ‘दुर्गपद व्याख्या', हारि. टीका का टिप्पण * (सं.) * गद्य *
(अ. 1), प्रशस्ति श्लोक-2 ग्रं.3300 {......देरपि सम्भवात्। पं.8 अनेकान्तिको...शोध्यं मतार्थक्षतिरस्तु मैवम् ।।) {1072,
1095) 2 | चंद्रकीर्तिसूरि
सदी 13वीं | 'हारि.टीका का विषमपद टिप्पनक' * (सं.) * गद्य * (अ. 1)
{पं.2 जयतीति जेतव्य...सगरस्य जितशत्रुः भ्रातृजः।} {1095} 1292 बा.बो. (6) |1| अज्ञात
(मा.गु.) * गद्य * (अ. 1) {अथ नंदीरिति कः...नंदीसूत्र
बालाबोध संपूर्णम्।।} {1063} 1293 अज्ञात
लघुनंदीसूत्र का बालावबोध * (मा.गु.) * गद्य * (सूत्र 30) {से०
ते कुणजी....अनुज्ञाना नाम जाणवा) (1063} 1294 | अज्ञात
योगनंदीसूत्र का बालावबोध * (मा.गु.) * गद्य * (सूत्र 9) {हिवे सिष्यने समजावा...नंदीसूत्र बालाबोध संपूर्णम्।।)
{1063) 1295 सज्झाय (7) | देवर्द्धिगणि क्षमाश्रमण वी. सदी थेरावलिया * (प्रा.) * पद्य * गाथा 50 (जयइ जगजीवजोणी
वियाणओ जगगुरू...वुच्छं।।50।। थेरावलिया समत्ता।।)
{1760, 1786} 1296 छाया (8) |1| जिनचारित्रसूरि (2) वि. 1977 | (सं.) * गद्य, पद्य * (अ. 1->गाथा 54) {1086} 1297
2 | हस्तीमलजी आचार्य वि. 1998P | (सं.) * गद्य, पद्य * (अ. 1) {1068, 1099) 1298
आत्मारामजी आचार्य वि. 2001 (सं.) * गद्य, पद्य * (अ. 1) {1070, 1092} 1299
4| घासीलालजी महाराज (#) | वि. 2033P | (सं.) * गद्य, पद्य * (अ. 1) {1076, 1090) 1300
5 | महाप्रज्ञजी आचार्य वि. 2053P | (सं.) * गद्य, पद्य * (अ. 1) {1085) 1301 अर्वा. टीका |1| जिनचारित्रसूरि
वि. 1977 | 'प्रभा टीका', मलय. टीका के विशद विवेचन स्वरूप * (सं.) *
गद्य * (अ.1→गाथा 54) {यामाश्रित्य शुभां सुमुक्ति
दममी...सिद्धिमुपगतमित्यर्थः।।5411} {1086) 1302 2 घासीलालजी महाराज वि. 2013 | 'ज्ञानचन्द्रिका' * (सं.) * गद्य * (अ. 1), प्रशस्ति श्लोक-9
{शिवसरणिविधानं जीवरक्षकतानं, सुरनरकृतगानं...तदेतत्
परोक्षज्ञानं वर्णितम्।।) {1076, 1090) 1303 शब्द., अनु., प्राणकुंवरबाई साध्वी | वि. 2055P | (गु.) * गद्य * (अ. 1) {1087}
10वीं
A
(9)
विवे. (10)
वि. 2065P | (हिं.) * गद्य * (अ. 1) (1099)
| 1304 शब्द., विवे.
(11) 1305 अन्व., अनु.,
विवे. (12)
मंगला चोरडिया, नेहा चोरडिया आत्मारामजी आचार्य
वि. 2002
|(हिं.) * गद्य * (अ. 1) (1070, 1092}