SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 113
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 37. संस्तारकप्रकीर्णकसूत्र क्र. स्वरूप संवत् 1241 कर्ता दीपरत्नसागरजी दीपरत्नसागरजी |कृति विशेषनाम भाषा*गद्य-पद्य परिमाण आदि-अंत*प्र.क्र. वि. 2058P (हिं.) * गद्य * (गाथा 121) {1474} वि. 2066P | ‘गुणरत्नसूरिजी कृत टीकानुसारी विवे.' * (गु.) * गद्य * (गाथा 121) {1537} 1242 विवे. (5) 1243 मूल (1) 38. तंदुलवैचारिकप्रकीर्णकसूत्र (1243-1253) पूर्वाचार्य (प्रा.) * पद्य, गद्य * सूत्र 177 ग्रं.500 (निजरियजरामरणं वंदित्ता जिणवरं...जह मुच्चह सव्वदुक्खाणं।।17711) {1037, 1038, 1039, 1040, 1041, 1042, 1043, 1345, 1369, 1379, 1393, 1399, 1426, 1480, 1484, 1492, 1510, 1523%D18) विजयविमल गणि | वि. 1623# | (सं.) * गद्य * (सूत्र 139), प्रशस्ति गद्य {ऋषभं वृषसंयुक्तं वीरं...केभ्यः ?. सर्वदुः खेभ्यः, बलसारराजर्षिवदिति।।) {1039, 1041, 1492, 152334} 1244 टीका (2) 1245 सज्झाय (3) श्रीसार उपाध्याय 1246 छाया (4) 1247 1248 अनु. (5) 1249 |1| सागरानंदसूरि (2) 2 | अंबिकादत्तजी ओझा हीरालाल हंसराज 2 | अंबिकादत्तंजी ओझा सुभाष कोठारी डॉ. दीपरत्नसागरजी दीपरत्नसागरजी दीपरत्नसागरजी वि. 1684- (मा.गु.) * पद्य * सर्वगाथा 72, कळश 72-72 (उत्पत्ति 168923 (उतपति) जो जो {जोय) ...कहे {कहै) श्रीसार ए।।72।।) {1784) वि. 1983P (सं.) * पद्य, गद्य * (सूत्र 139) {1426, 1480, 1484) | वि. 2006P | (सं.)* पद्य, गद्य * (सूत्र 139) {1038} वि. 1967P | (गु.) * गद्य * (सूत्र 139) {1037} वि. 2006P | 'स्पष्टीकरणयुक्त' * (हिं.) * गद्य * (सूत्र 139) {1038} | वि. 2047P | (हिं.) * गद्य * (सूत्र 177) {1040} | वि. 2053P | (गु.) * गद्य * (सूत्र 161) {1463, 1537} वि. 2058P (हिं.) * गद्य * (सूत्र 162) {1473} | वि. 2066P | 'विजयविमल गणि कृत टीकानुसारी' * (गु.) * गद्य * (सूत्र 161) {1537} 1250 1251 1252 1253 विवे. (6) 1254 मूल (1) पूर्वाचार्य 39. चन्द्रावेध्यकप्रकीर्णकसूत्र (1254-1261) (प्रा.) * पद्य * द्वार 7→गाथा 175 {जगमत्थयत्थयाणं विग. सियवरनाणदंसणधराणं। नाणुज्जोयगराणं...मुच्चह गम्भवासवसहीणं। मरण-पुणब्भव-जम्मण-दोग्गइविणिवायगमणाणं।। 17511) {1044, 1045, 1046, 1047, 1048, 1049, 1345, 1369, 1379, 1390, 1393, 1399, 1405=13} चतुरविजयजी वि. 1997P (सं.) * पद्य * (गाथा 175) {1044) |1| कलापूर्णसूरि वि. 2038P (गु.) * गद्य * (गाथा 175) {1045) 2| सुरेश सिसोदिया डॉ. वि. 2047P (हिं.) * गद्य * (गाथा 175) {1046} दीपरत्नसागरजी वि. 2053P | (गु.) * गद्य * (गाथा 175) {1463, 1537) जयानंदविजयजी वि. 2057P | कलापूर्णसूरिजी कृत (गु.) अनु. का भाषां. * (हिं.) * गद्य 1255 छाया (2) 1256 अनु. (3) 1257 1258 1259
SR No.002326
Book TitleAgam Prakashan Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirav B Dagli
PublisherGitarth Ganga
Publication Year2015
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy