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।।। ह्री श्री धरणेन्द्रपद्मावतीपूजिताय श्रीशंखेश्वरपार्श्वनाथाय नमोनमः ।।
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संपादकीय
करीबन पिछले 150 साल से 45 आगम, अन्य आगम और आगमिक साहित्य पर हुए प्रकाशनों की एक विरल सूची प्रकाशित करने की संजोयी हुई हमारी शुभभावना आज साकार बन रही है । धन्य बने हम आज कि श्रुतरक्षा का एक संनिष्ठ प्रयास कर पायें और श्री संघ के करकमलों में कुछ सादर अर्पण कर पायें ।
धर्मतीर्थसंरक्षक, प्रावचनिकप्रभावक, सन्मार्गसंदर्शक, आध्यात्मिकगुणसंपन्न, श्रुतमर्मज्ञ, गीतार्थ गुरुभगवंत प. पू. आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय युगभूषणसूरीश्वरजी महाराज साहब की पावन प्रेरणा एवं मार्गदर्शन से प्रस्तुत श्रुतभक्ति का कार्य संपन्न हो पाया है ।
जिनशासन की प्रणालि में वीरप्रभु के निर्वाण के पश्चात् करीबन 980 साल तक अधिकृत गुरुभगवंतों के द्वारा कंठोपकंठ श्रुतपरंपरा का प्रवाह अस्खलित रूप से प्रवाहित था । लेकिन काल के प्रभाव से श्रमण भगवंतों की धारणाशक्ति, क्षयोपशम आदि दिन-प्रतिदिन क्षीण होते गये । तब शासन की अविच्छिन्न परंपरा की धरोहर समान 'श्रुत' की रक्षा के लिए आचार्यदेवेश श्रीमद् देवर्धिगणी क्षमाक्षमण के नेतृत्व में वल्लभीपुर में 500 आचार्य भगवंतों के सानिध्य में आगम आदि ग्रंथों की वाचना हुई और उसी समय पहली बार आगम आदि ग्रंथों का हस्तलेखन भी किया गया। आज श्रमणप्रधान श्री संघ के पास जो श्रुत की विरासत उपलब्ध है, उसमें मुख्य कारण उपर्युक्त हस्तलेखन का कार्य है, आज भी यह परंपरा चालु है । ___ समय के बदलते प्रवाह के साथ पिछले करीबन 140-150 साल से मशीनरी के माध्यम से भी आगम आदि ग्रंथों का प्रकाशनकार्य जारी है । आज भी अनेक महात्मा श्रुतरक्षा के लिए अमुद्रित आगम की टीका, चूर्णि आदि के संपादन एवं पुनर्मुद्रण का कार्य कर रहे है । इसी दौरान आज तक आगमिक ग्रंथों पर हुए संशोधन, संपादन और प्रकाशन संबंधित
नकारियाँ: बालावबोध. अनवाद. विवेचन आदि संबंधित जानकारियाँः प्रकाशक, कर्ता. संपादकों की संदर्भ सहित की नामावली इत्यादि प्रकाशन संबंधी अनेकविध जानकारियों से पूर्ण, प्रांजल एवं सुबद्ध 'आगम प्रकाशनसूची' को श्री संघ समक्ष प्रस्तुत करने का यह हमारा प्रयास है । आशा है कि हमारा यह आयास श्रुतानुरागी वाचकवर्ग को जिज्ञासापुष्टि एवं मनतुष्टि देगा । साथ ही, यह सूची श्री संघ में श्रुत की आराधना, प्रभावना एवं रक्षा हेतु ज़ारी अध्ययन, अध्यापन, संशोधन, संरक्षण आदि बहुविध प्रवृत्तियों में सहायक एवं उपयोगी बनेगी।