________________
50 ) इती चोखी, शिक्षा थाने कठेई नही मिलेला
। सिर्फ थाने एक कोम करनो पड़े ! सीधो साधो काम है, धर्म ध्यान करणों और " गुरुजी रे शरण आवणो सा”, धन्यवाद
सा !
51 ) बैलगाड़ी से पांच हाथ दूर, घोड़े से दस हाथ दूर, हाथी से सौ हाथ दूर, परन्तु दुर्जन से करोड़ों हाथ दूर रहना चाहिए ।।
52)
सम्पदा सैकड़ों मित्र बनाती है । विपदा मित्रों की परख कराती है ।
53) सबको सुधारने की जवाबदारी हमारी है भी नहीं, और हमारे अन्दर यह ताकत भी नहीं है।
54) चाह तन-मन को गुनहगार बना देती है, भूख इन्सान को गद्दार बना देती है ।
55) बँटवारे के समय घर की हर चीज के लिए झगड़ा करने वाले बेटे, दो चीज के लिए उदार बन जाते है, जिसका नाम है माँ-बाप |
56) ं दिल को सुधार लो, दुनिया स्वयं सुधर जाएगी ।
57) उजाला अपनी राहों का हमारे साथ रहने दो, न जाने किस गली में जिन्दगी की शाम हो जाए ।
58) यहाँ शंका रहित जीवन का नाम ही आत्म विश्वास है ।
59)
जय करनारा जिनवरा दुःख हरनारा देव, पाठ पढूं पहेलो प्रभु नमन तणो नितमेव । 60 ) जैन धर्म गुण प्रधान धर्म है। जिन शासन व्यक्ति प्रधान धर्म नही हैं। इसलिए व्यक्ति नहीं, गुण की प्रशंसा आत्मा को तारती है ।
45
61) जवानी में धीरज रखने की आशा रखना
व्यर्थ है, वृद्ध के पास तेज गति की आशा रखना व्यर्थ है ।
62) देखो अपने आपको, समझो अपने आप अपने को समझे बिना मिटे न भव सन्ताप ॥
63) पृथ्वी आकाश पानी में खोज करता है वैज्ञानिक, अंतर (आत्मा में) में खोज करता है ज्ञानी ।
64) दुर्लभ बोधि (निकट भविष्य में धर्म न मिलना)
बनने का कारण है, देव गुरु व धर्म की निंदा करना। ये निंदा हृदय को तुच्छ बनाती हैं ।
65) जिन शासन संपत्ति के दान से नहीं चलता है । परन्तु संतति (सन्तान) के दान से चलता है ।
66 ) दो अक्षर की करामात प्रथम है विश्व और विश्व में जन्म मरण में भटकाने वाले हैं "कर्म " ।
67) संसार के सभी पद कर्म के उदय से मिलते
है, परन्तु एक पद कर्म के क्षय से ही मिलता है, वह सिद्ध पद । अतः वह शाश्वत है ।
68 ) जो करता है, जितनी यहाँ चिकनी चुपड़ी बात । देता वह उतना अधिक, इस मन को सन्ताप ॥
69)
सरलता व अनीतिसे प्राप्त किया धन लम्बे काल तक नहीं टिक सकता है ।
70) तुम्हारे दुश्मन का भी बुरा मत बोलो, क्योंकि वह कल तुम्हारा मित्र बन सकता हैं ।
71) जो काम खुद कर सकते हो, दूसरों से मत करावो |
72) व्यक्ति के प्रभाव की खबर दूर से पड़ती है, और स्वभाव की खबर पास में रहने से होती है ।