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वृति से पुण्य जल्दी क्षय होता है। गंभीरता व उत्तरवैक्रिय न करने से धीरे धीरे खर्च होता है । जहाँ आसक्ति अधिक वहाँ पुण्य क्षय भी अधिक ।
भग. श. 18 उ. 7
72) सीमंधर स्वामी महाविदेह में बोलते है । 14 पूर्वधारी मुनि यहाँ भरत क्षेत्र में बैठे बैठे सुनते हैं ।
14 पूर्व धारी ज्ञानी मुनि को शंका होने पर आहारक शरीर (एक हाथ प्रमाण) एक पुतला बनाकर भेजते हैं, तीर्थंकर के पास। जो सीमंधर स्वामी फरमाते है, पुतला सुनता है, यहाँ मुनि भी, बैठे बैठे सब सुन रहे है, जवाब सुन लेते हैं ।
पनवणा पद - 21
73) एक से बनावे हजार ! कौन?
14 पूर्व धारी लब्धि धारी मुनिराज के पास “उक्करिया भेय” (उत्करी का भेद) लब्धि होती है। जिस के बल से वे मुनिराज 1 घड़े में से 1000 घड़े बना लेते है । 1 वस्त्र से 1000 वस्त्र बना देते है । 1 रथ से 1000 रथ, बना देते है | 1 दंड से हजार दंड बना देते है । 1 क्षण भर पहले जहाँ एक वस्तु दिखती थी, वहाँ पर 1000 वस्तुएं दिखती है। वाहरे जिनशासन जिससे कोई नही पाता पार ।
74) चार शरीरों को अनंत बार पा लिया : औदारिक शरीर, वैक्रिय, तैजस व कार्मण शरीर इन चारों शरीरों को जीव अनंत बार प्राप्त कर चुका है। विविध रूप बनावें, वैक्रिय शरीर सब से कम मिला, आहारक शरीर तो शायद नही मिला होगा। पूरा लोक भर जाए, इतने शरीरों को धारण कर-कर के छोड़े, परन्तु सार नही निकला ना । शरीर माध्यम खलु धर्म साधनम् धर्म करणी का माध्यम शरीर ही है। सदुपयोग होवे शरीर का ...
पनवणा पद 21
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75) असंख्य का साथ असंख्य बार चार गति में परिभ्रमण करते जीव के हुए साथ अन्य जीव भी साथ जन्म लेते हैं । कभी नहीं भी लेते हैं ।
नारकी में अकेले जाने वाले बहुत थोडे है । जबकि असंख्य साथ जाने वाले असंख्यात गुणा अधिक है ।
76) असंख्य जीवों में एक को मनुष्य जन्म देव भी चाहना रखते है कि मानव भव मुझे मिले ।
एक समय में च्यवन वाले असंख्य देवों में किसी एक देव को मनुष्य भव मिलता है। शेष सभी देव तिर्यञ्च गति में जाते है । असंख्य देवों में एक देव को मानव भव प्राप्त होता है । प्रबल पुण्योदय के बिना मानव जन्म महामुश्किल से मिलता हैं ।
भग. श. 20 उ० 10 77 ) असंख्यात चन्द्र, सूर्य स्थिर है
अढ़ाई द्वीप के बाहर जितने भी चन्द्र, सूर्य है सभी स्थिर है । जहाँ प्रकाश है, वहाँ प्रकाश है । जहाँ अंधकार है, वहाँ अंधकार है । किसी प्रकार का अंधकार, प्रकाश का परिवर्तन नहीं होता है ।
78)
आज जो सूर्य दिखता है, कल नहीं समय क्षेत्र कहो, मनुष्य क्षेत्र कहो, सूर्य घूमता है, चन्द्र घूमता है। आज जो सूर्य दिख रहा है, कल नही, तीसरे दिन पुनः दिखता है । जंबू द्वीप में दो सूर्य, दो चन्द्र है, कुल 21/2 द्वीप में 132 चन्द्र, 132 सूर्य ।
जीवाभिगम सूत्र
79) सूर्य की गति एक मुहुर्त में कितनी ?
मेरु पर्वत के चारों ओर घूमता हुआ सूर्य हमेशा एक ही स्थान पर उदय अस्त नहीं होता है । अलग अलग मार्ग (मांडला) है। कुल मांडला