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________________ पशुओं से 20 गुण सीखना चाहिए सिंहादेकं बकादेकं शिक्षेत चत्वारी कुक्कुतात् । वायसात्पञ्च शिक्षेत्च षट् शुन स्त्रीणि गर्दभात || मनुष्य को शेर और बगुले से एक-एक, गधे से तीन, मुर्गे से चार, कौए से पाँच और कुत्ते से छः, ऐसे कुल बीस गुण पशु-पक्षियों से सीखना चाहिए । शेर : एक गुण स्वालम्बन शेर छोटा या बड़ा कोई भी काम अकेला अपने बलबूते पर ही करता है । - 1) स्वावलम्बी | बगुला : एकाग्रचित और स्थिर होकर धैर्यपूर्वक मछली की राह देखता है । धैर्यता व एकाग्रता यह गुण बगुले से। गधा : काम में सदा तत्पर, गर्मी, सर्दी में समान रूप से काम करता है। सदा मस्त रहता है, ये तीन 1) सदा मस्त 2 ) समान 3 ) सदा तत्पर मुर्गा : प्रातः समय पर उठना, बांग देना । शत्रु का डटकर मुकाबला करना, मिल बाँटकर खाना, कचरे कूड़े में अपना पेट भर लेना । चारों का सार : 1) समय की पाबंदी | 2) संकट से घबराना नहीं । 3) मिल-जुलकर खाना । 4) निर्वाह कर लेना, जैसी भी परिस्थिति हो । कौआ : पाँच गुण एकान्त मे छिपकर भोग, धैर्यवान होना, सदा सतर्क रहना, किसी का विश्वास न करना, दूर से अपना लक्ष्य पहचान कर 18 झपट पड़ना । सार : 1) 2) 3) 4) 5) निर्लज्ज नहीं बनना । धैर्यता । सदा जागृत । भरोसा न रखें ( हर किसी पर) लक्ष्य पर केन्द्रित रहना । कुत्ता कुत्ता कितना भी भूखा हो, थोड़ा खाकर भी संतुष्ट हो जावेगा यानी सन्तोषी स्वभाव वाला है, गहरी नींद में सोया हो तो भी जरा सा खटका सुनते ही जाग जाता है। अपने मालिक को बहुत चाहता है, यानि स्वामी भक्त होता है । गन्ध सूंघ कर कभी भूलता नहीं, समय पड़ने पर बहादुरी दिखाता है, बिना झोली के फकीर की तरह भिक्षा मांगने घर घर जाता है । कासार : 1) थोड़े से संतुष्ट 2) अल्प निद्रा 3) स्वामी भक्त, 4) समय पड़ने पर वफादारी दिखाता है 5) गंध सूंघ कर भूलता नहीं 6) बिना झोली का फकीर 7 ) मान अपमान में समान उपरोक्त 20 गुण पशु पक्षियों से सीखने चाहिए । चाणक्य नीति - गाथा चरिष्यति मानव: । य एतान विशंति 'गुणाना कार्या ऽ वस्थासु सवासु अजेयः स भविष्यति ।। अर्थात : - जो मनुष्य इन 20 (बोलो) गुणों को अपने आचरण और स्वभाव में धारण करेगा, वह सभी कार्यो में और सभी अवस्थाओं में सफल सिद्ध और विजेता रहेगा ।
SR No.002325
Book TitleVinay Bodhi Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaymuni
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sangh
Publication Year2014
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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