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________________ परंतु “माँ” की सेवा से, ईश्वर की सूरत क्या होगी? जन्म - जन्मांतर की शुद्धि होती है। 22) भगवान की भक्ति करने से 12) तीनों लोक का नाथ । शायद हमे माँ न मिले । "माँ" के बिना अनाथ ।। लेकिन माँ की भक्ति करने पर 13) माँ की गोद भगवान अवश्य मिलेंगे। दुनिया की सबसे सुरक्षित जगह.. 23) एक माँ सौ शिक्षकों से बढ़कर हैं। 14) संसार की दो करूणाएँ -: 24) माँ-गुरू, माँ कल्पतरू माँ के बिना घर और माँ-ममता का सागर, घर के बिना माँ। माँ-अमृत की गागर। 15) जिस घर में माँ रहती है 25) जीवन में आँधी चले, वह घर तीर्थ समान है। चले तेज तूफान 16) मैं रोया परदेस में पर्वत अविचल रहे, भीगा माँ का प्यार, "माँ" की ये पहचान दुःख ने दुःख से बात की 26) माँ बिन बालक, जैसे डोरे बिन पतंग । बिन चिट्ठी बिन तार । 27) टीले की रेत के कण गिने जा सकते हैं । 17) जो व्यक्ति अपने माँ-बाप की नहीं सुनता। परंतु माता के उपकार गिनना मुमकिन नहीं। उस नासमझ की पुकार ईश्वर भी नही सुनता ।। | 28) मेरे पास गाड़ी है, बंगला है, 18) सारा जहाँ भी साथ दे तो और बात है, दौलत है, शौहरत हैं। पर माँ जो आशीर्वाद दे तो और बात है। तुम्हारे पास क्या है? 19) माँ तू ही मंदिर, माँ तू ही पूजा मेर पास "माँ" हैं। पूजा का वरदान माँ 29) मानव चाँद तक पहुँच चुका है, ये लोक तू है, परलोक तू है | मंगल तक, पहुँच ही जाएगा तुझमे है दोनों जहाँ। लेकिन माँ की महानता तक पहुँच पाएगा ? 20) जिसको देखो वो सजा देता है नहीं, यह असंभव है। दोस्त बनकर के दगा देता है । 30) चाहे लाख करो तुम पूजा और तीर्थ करो वो तो माँ-बाप का दिल है, वर्ना हजार। मुफ्त में कौन दुआ देता है। मगर माँ-बाप को ठुकराया तो सब कुछ है बेकार ॥ 21) ईश्वर को नहीं देखा हमने, हमें इसकी जरूरत क्या होगी, 31) यदि देखना हो माँ की ममतामयी उड़ान को, ऐ माँ ! तेरी सूरत से अलग, तो जाओ और ऊँचा करो पूरे आसमान को ।
SR No.002325
Book TitleVinay Bodhi Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaymuni
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sangh
Publication Year2014
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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