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________________ आदरणीय धर्म प्रेमी श्रीमान् इन्दरचन्दजी कोठारी, कोयम्बतूर सादर सप्रेम जयजिनेन्द्र । आपके द्वारा प्रेषित “विनय बोधि कण" पू. विनय मुनिजी म. सा (खींचन) के चार चातुर्मासों की संकलन ज्ञानवाणी, पुस्तक प्राप्त हुई। बहुत बहुत धन्यवाद। आपके भावना रूप स्थानक भवन मारवाड़ी रोड़, पहुँचा दी है। ऐसी कृति प्रथम बार ही देखने पढ़ने में आई है। बहुत ही सार गर्मित एवं उपयोगी पुस्तक है जो ज्ञानवाहिनी एवं स्वाध्याय के लिए अति उत्तम है। सभी को बहुत पसंद आई और खुब सराहा। इसके साथ ही एक निवेदन है कि हमारे यहाँ कोहेफिजा कालोनी में भी बहुत बड़ा अच्छा स्थानक भवन निर्माण हुआ है। व्यक्तिगत उपयोग हेतु भी उपलब्ध किस मूल्य पर हो सकेगी, सो सूचित करावें । अत्रं कुशलं तत्रास्तु । फतहचन्द बाफणा भोपाल (म.प्र) ज्ञान की गंगा बराबर बहाते रहते हैं। शिविर के ध्येय और उनमें परोसी गई सामग्री की गुणवत्ता कितनी सुन्दर है! और सब छोड़कर मन करता है कि इन्हीं का स्वाध्याय करता रहूं, धर्म प्रभावना में योगदान के लिए बहुत बहुत अनुमोदना के साथ ७-८-२००७ वरिष्ठ चिंतक डॉ. जीवराज जैन, जमशेदपुर (झारखण्ड) Dear Sir Gotham chand Kataria I am glad to acknowledge with thanks the receipt of a Book 'Vinay Bodhi Kan' sent by you with regards. May Shree Manjunatha Swamy bless you. Thanking you D. Veerendra Heggade Dharmasthala, Dakshina Kannada karnataka State जिनशासन की प्रभावना हेतु श्रावक रत्नों का प्रयास अति आदरणीय व सराहनीय है। साधक के लिए अति उत्तम है। प्रकाशक तथा संकलक को हार्दिक साधुवाद | वरिष्ठ स्वाध्यायी कन्हैयालाल खाबिया, तिरूपति (A.P) कोयम्बतूर आराधना भवन से प्रेषित 'विनय बोधि कण' प्राप्त हुआ धन्यवाद! पुस्तक की सामग्री बहुत ही उपयोगी है, प्रेरणास्पद है, नित्य पठन पाठन एवं स्वाध्याय में लाभकारी 281 है। पुस्तक के प्रकाशन में संलग्न सभी को तन-मन-धन के समर्पण के लिए धन्यवाद । बी. ए. कैलाशचंद जैन "कर्मवीर कैलाश" पत्रिका मैसूर (कर्ना.) खींचन के रत्न ने ज्ञानरूपी अनमोल रत्न रतनवाड़ी को दिया है, धन्य है मेरी बहिन पापा बाई व बेनोइसा अनराजजी को जिन्होंने जैन संघ को जीवंत रतन दिया है। समस्थ- चंपक का अलबेला चेला है।' विनय बोधि कण' ग्रन्थ जो शास्त्र पुस्तक है, खींचन के स्थानक में रखवा दी गई है। चंपालाल मालू, खींचन (राज.) आपकी पुस्तक 'विनय बोधि कण' मिली थी, किन्तु यात्रीगण पढ़ने को यह कहकर कि हम पुनः लौटा देंगे लेकिन नहीं लौटाई पुनः भेज सके तो अच्छा रहेगा, इतनी उपयोगी सुन्दर पुस्तक अवश्य विरायतन लाइब्रेरी हेतु मेजें। मिथिलेश, विरायतन राजगृह (बिहार) 'विनय बोधि कण' ग्रन्थ में जैन धर्म दर्शन का सार समाहित होने से सामान्य लोगों के लिए यह संजीवनी तुल्य बन गया है ग्रन्थ के चारों भाग / अंश अत्यन्त उपयोगी है तथा विषय को स्पष्ट करने में सक्षम हैं। ऐसी सामग्री देश-विदेश के सभी पुस्तकालयों में जानी चाहिए। ऋषभचंद जैन, प्राकृत शोध संस्थान, वैशाली (बिहार) ज्ञानवर्धक पुस्तिका व पत्र प्राप्त कर अनुग्रहित हुआ, नई पीढ़ी को विशेष मार्गदर्शन की आवश्यकता है। आप सतत् जिन शासन की प्रभावना करते रहें। डॉ. दिलीप धींग, उदयपुर (राज.) जन्मदात्री की भावनाओं के अनुरूप सम्यक श्रुतज्ञान आराधना का लाभ लेकर आपने मोक्षमार्ग, अभिलाषी ज्ञान पिपासुओं हेतु सुन्दर सामग्री प्रस्तुत की है। निश्चित ही पुस्तक को पढ़ने से अनेक समस्याओं का समाधान स्वतः ही हो जायेगा। आपके सद्प्रयासों की जितनी भी अनुमोदना की जाय कम है। आपकी सद्भावनाओं को प्रणाम और सिर्फ प्रणाम । सुभाष लोढ़ा, बालाघाट (म.प्र) 'विनय बोधि कण' प्राप्त कर मेरा रोम रोम पुलकित हो उठा, जीवन की भागम भाग में अपनी शान्ति व सुख के लिए धर्म को जानना तो चाहते हैं लेकिन उसके लिए उनके पास समय नहीं है । गरिमामय जीवन चाहते हैं, लेकिन इस सुपथ से अनभिज्ञ हैं। इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए संतो के प्रवचन
SR No.002325
Book TitleVinay Bodhi Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaymuni
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sangh
Publication Year2014
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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