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काम करनेवाली सोपान है। मुनिश्रीजी ने साधकों के लिए | विनय बोधि कण' पुस्तक मल्यु, तेनी पोंच आ पत्थी जाणशो। शास्त्रानुसार अपने अनुभवों द्वारा सार भाग नवनीत जनता पुस्तक ज्ञाननो खजानो छ। दररोज स्वाध्याय थाय छ। सन् के हितार्थ परोसा है।
१९८३ ना वर्षे पू. महात्माजी म.सा. विनयमुनि आदि उपाध्याय ईश्वरमुनि, कलकत्ता (पं. बंगाल)
ठाणा ५ वांकी पधार्या हता २ दिवस रोकाया हता। घणा
प्रश्नोना समाधान महात्माजी पासे मल्या। वांकी संघे पण 'विनय आराधना' उपदेशी और भक्ति पूर्ण भजनों का सुन्दर तेमना प्रवचननो लाभ लीधो हतो। संग्रह है।
पू. विनोदचंदजी म.साहेबना धर्माशीश, वांकी कच्छ (गुज.) महामन्त्री सौभाग्य मुनिजी म.सा.
विनय बोधि कण' मली गयेल, गादिपति प्राणलालजी स्वामीनो 'कुमुद' आकोला (राज.)
धर्म लाभ लीधो। सौराष्ट्र केसरी गुरुदेव धीरजमुनि म.सा सुखसाता मां विराजे
दिलीप एस. देसाई, वर्द्धमान नगर, मुम्बई (महा) छे। आपे शासन प्रगति मां मोकलेल 'विनय बोधि कण' पुस्तक मलेल छ। जे वांची ने खूबज प्रभावित थयेल छीए। पू. विनय बोधि कण' मली गई छे। और बरवाला सम्प्रदायना विद्वान मनीषी के प्रवचन जनजन को जगाने वाले है। गच्छाधिपति पू. सरदार गुरुदेव की सेवा में रखी है। रजनीभाई बावीसी, ट्रस्टी, वर्धमान वैय्यावच्च केन्द्र, राजकोट
दिलीप दोसी, बड़ोदरा (गुज.) (गुज.)
विनय बोधि कण' बोधदायक व सुन्दर है। सम्यकज्ञान प्रेरणा आगमोना निचोड़ रूप पुस्तक वांचीने खुबज खुशी अनुभवी देनेवाला ग्रंथ है। संघ के सदस्यों को देते रहते है। गुरूदेव ने आगम सूत्रोंमांथी मंथन करीने तैयार करेल छे। आ पुस्तक बहुत उपकार किया है। आत्मा के कल्याण में निमित्त बनेगा। साधु साध्वीजीओ माटे उपयोगी बनी रहेशे। मुनिश्री नो श्रम संशोधन अनुमोदनीय अनुकरणीय छ।
३० वर्ष पूर्व चातुर्मास दामनगर में पू. गुरूदेव पू. महात्माजी
म.सा. की सेवामें गुरुदेव कर चुके है। सन् १९८२ में, तब ओज ली. श्री दीनबंधु फाउन्डेशन ट्रस्ट, मानव मंदिर,
आवाज की बुलन्दी, जैन रामायण, जैन जैनेतरों मे ल्हाणी बिदड़ा कच्छ (गुज.)
(प्रभावना) सबको आज भी ३० वर्ष पुरानी याद आती है। प्रत्येक विषय पर अगर सूत्र की शाख (ग्रन्थ) का आधार भावपूर्वक वंदना दिया गया होते तो ज्यादा अच्छा लगता।
कान्तिभाइ भोगीभाई बगड़िया, दामनगर, अमरेली (गुज.) मुनि धन्य (गोपाल सम्प्रदाय), 'विद्यानंद' नालासोपारा
आपका सम्यक् पुरुषार्थ अभिनंदनीय है। 'विनय बोधि कण' घणा पदार्थो नो संग्रह छ। पाकुं बाइंडिंग
__ पूज्य गौतम मुनि जी म.सा, रतलाम (म.प्र) अने सारा छापकाम वाळुटकाउ पुस्तक छे। पुस्तकनु अवगाहन समय मल्येथी विशेष करशुं।
विचक्षण श्री सत्यप्रकाशजी मुनि जी म.सा ठाणे २ को दे मुक्तिमुनिचंद विजयमुनि, सुरत (गुज.)
दिया है। ज्ञान प्रभावना की सराहना करते है।
सुलेखचंद जैन महा सचिव श्वे.स्था. जैन संघ करनाल (हरयाणा) परमात्मानी अचिंत्य कृपा फले अत्रे परमानंद छे। विनय बोधि कण' पुस्तक मल्युं। सचित्र विश्वदर्शन जगत जीवोने कराव्यु। पढ़कर अत्यंत आनंद आ रहा है। पूर्व में साथ बितायी ते सदाय मोक्ष पर्यन्त अविस्मरणीय रहेशे। १०० पाना घड़ियों की स्मृतिएं ताजी हो गई। स्वाध्याय के लिए अत्यन्त वांचन करता.. एक एक चित्र खूबज बोध दायक बने छ। उपयोगी है। सचित्र प्रकाशन, खूब भव्याकार करेल छ। भूरि भूरि अनुमोदना।
पू. लोकेश ऋषिजी म.सा, महाराष्ट्र आचार्य कीर्तिसेन सूरिजी, पालीताणा (गुज.)
अन्तगढ़ सूत्र वाचना पुस्तकों को पढ़कर बहुत ही ज्ञान की बा.न. किरणबाई महासतीजी आदि ठाणा सातामा छ। आपना बातें पढ़ने एवं आत्म चिंतन करने की ज्ञात हुई। हमारी ट्रस्ट तरफथी विनय बोधि कण' मली गयुं छे। पुस्तक सुन्दर छ। कमिटी आपके बहुत बहुत आभारी हैं। बहु ज उपयोगी छे। आपने पुरुषार्थ नी अनुमोदना करुं छु।
श्री दि.जैन.सि.क्षे पावनगिरीजी, संघाणी संघ, गोंडल (गुज.)
ऊन, जिला खरगोन (म.प्र)