SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 298
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (पाठकों के विचार) श्रीमान श्री इन्दरचन्दजी कोठारी, दि. २५-१०-२०१० | मुनिजी म, डॉ. अमरेश मुनि निराला, मुनिशालिभद्रजी डॉ. चन्द्रप्रभाजी, उप प्रवर्तनी महासती श्री चारित्रप्रभाजी उभय कुशलोपरि । साम्प्रतं - आपके द्वारा संप्रेषित ‘विनय म.सा ने पुस्तक का संक्षिप्त क्षणों का अवलोकन किया। मगर बोधि कण' ग्रन्थ प्राप्त हुआ । आद्योपान्त पठनीय है। मननकर हार्दिक प्रसन्नता हुई। सभी के मुखारविन्द से प्रसन्नता के भाव प्रकट हुवे। पुस्तक को ज्ञान-ध्यान-स्वाध्याय में लाभदायक बताया । पूज्य श्री महा. सा जी के इच्छाकार। महा.सा जी का अनूठा विश्वदर्शन १४, राजु, आठ कर्मों के उत्तर भेद.. छहसंहनन प्रयास सार्थक सिद्ध हो, साथ ही अनुकरणीय है। छह संस्थान, आत्मा, तीर्थंकर, कालचक्र, षट् द्रव्य एवं धार्मिक शिक्षा जगत के लिये यह अनुपम कृति है। जिसे उसका स्वरूप, नवतत्व, छःलेश्या की पहचान जम्बूवृक्ष, पाठक सहर्ष स्वीकारेंगे। सभी को हार्दिक अभिनन्दन। जम्बूद्वीप, ढ़ाईद्वीप... नक्षत्र मण्डल, निगोद से मोक्ष पर्यंत __ पू. भट्टारक श्री जैन मठा कनकागिरि (कर्ना) आत्मा का विकास क्रम, चौदह गुणस्थान, कर्म व उसके गुण दोषों के शानदार चित्रांकन प्रस्तुत किये गये। इन चित्रों के अखिल भारतवर्षीय श्वेताम्बर अवलोकन, चिन्तन-मनन से भवी आत्मा का जरुर-जरुर उद्धार होगा। अज्ञानता का प्रखर अन्धेरा दूर होगा। सभी स्थानकवासी जैन कॉन्फ्रेंस चित्र आत्मा के उद्धार एवं ज्ञान वृध्दन में अच्छे सहायक 'विनय बोधि कण पर सम्मति' सिद्ध होंगे। बहुत ही सुरक्षता के साथ प्राप्त हई पुस्तक के प्रथम अवलोकन विनय बोधि कण के चारों भागों को एक स्थान पर से मेरे प्यासे लोचन तृप्त हो गये और मन पुस्तक को पढ़ने प्रस्तुत कर गागर में सागर का महान ध्येय उपलब्ध किया। समझने और अध्ययन करने को लालायित होने लगा। समस्त प्रश्नज्ञान वर्द्धक है। चौथे भाग में सुखी जीवन एवं उन्नत जीवनार्थ अच्छी बातें प्रस्तुत की है। इस पुस्तक के पुस्तक का विशिष्ट आकार, स्थल काया, सजिल्द मूल्य लेखन, प्रकाशन आदि कार्यों में जिसने भी परोक्ष-अपरोक्ष सदुपयोग, बहुरंगीय इन्द्रधनुषाकार, आकर्षक मन मोहक, रुप से सहयोग दिया, वे सभी साधुवाद के पात्र हैं। अन्त में सुन्दर मुद्रांकन, स्पृष्ट शीर्षक और अक्षरों का गठन, लेखन आपश्री के उज्जवल भविष्य, उत्कृष्ट चारित्र की एवं दीर्घायुमें जागृति एवं विभिन्न तल स्पर्शी आत्मिक गुणों का स्वस्थ आयु की मंगल मनीषा करता हूँ। प्रस्तुतिकरण व चित्रांकन को देख कर हृदय गद-गद और वन्दन कर्ता पुलकित हो गया। ताराचन्द जैन (गोलेच्छा) पाली मारवाड (राज.), स्व. मणिबेन कीर्तिलाल मेहता इतना अदभूत प्रकाशन नहीं देख पा रहे होंगे। मगर उनकी सद् प्रेरणा और श्रेष्ठ 'विनय बोधि कण' ग्रन्थ के प्रकाशक मेहता परिवार की श्रुत सहयोग से हजारों-हजारों आंखे पुलकित और हर्षित हो रही अनुमोदना, तीर्थंकर गोत्र नामकर्म बांधने जैसा प्रयास होगी। डॉ. उषा, पंकज मेहता, कौशिक मेहता, परेश सराहनीय है। अद्वितीय स्वाध्याय हेतु उत्तमोत्तम पुस्तक है। मेहता की दिन रात की मेहनत पाठकों के पढ़ने, स्वाध्यायियों पू. गीतार्थ पारसमुनिजी म.सा, उज्जैन (म.प्र) के लिये कुशल मार्गदर्शन, ज्ञान पिपासुओं की ज्ञान पिपासा बुझाने में रंग लारही होगी। पुस्तक जिस किसी के हाथ में आपना तरफथी दरियापुरी सम्प्रदायना वरिष्ठ संत रत्न जायेंगी, वह पढ़ने के लिये लालायित होता दिखाई देगा। तपोधनी बा. ब्र.प.पू. गुरूदेव राजेन्द्र मुनि महाराज साहेब उपर मोकलेल 'विनय बोधि कण' ग्रन्थ संप्राप्त थयो। आभारनी पुस्तक प्राप्त होते ही इस पुस्तक को अवलोकनार्थ स्थानक लागणी व्यक्त करीए छीए। में लेकर गया। एक फरवरी को यहाँ दो दीक्षार्थी बहनों की दीक्षा होने के कारण यहाँ अनेक सन्त सतियाँ विराज रही 'विनय बोधि कण' ग्रन्थ मननीय, तत्व सभर जैन तत्व ने थी। प्रवर्तक श्री रमेश मुनिजी म. प्रवर्तक श्री रूप मुनिजी सरल, सादी अने सहज भाषा मां व्यक्त थयेल छे जे तत्व म. उप प्रवर्तक सुकनमुनिजी म. उप प्रवर्तक श्री नरेश पीपासुओं माटे खूबज उपयोगी बनी रहेशे। अमोने याद करवा
SR No.002325
Book TitleVinay Bodhi Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaymuni
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sangh
Publication Year2014
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy