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________________ ऊटी बन गया तीर्थ ऊटी बन गया तीर्थ, शुद्ध हुआ सारा परिवेश, पाकर पूज्य विनयजी को, गर्व करे यह सारा देश । जागा ऊटी का सौभाग्य, हर धर्मीजन हर्षित आज, परम भाग्य से ऊटी पधारे, श्री विनयमुनि महाराज । महा तपस्वी पू. श्री चम्पालालजी श्रमण सूर्य तपस्वीराज, उनके सुयोग्य सुशिष्य श्री विनयमुनि महाराज । " खींचन " उपनाम है साथ जुडा, अर्थ में गूढ़ तथ्य है, सहज खींच ले धर्मी को, क्रिया में महा सत्य है । मंगलकारी हे विनयमुनि, स्वीकार करें विधिवत वंदन, मैं कवि नारायण स्वामी, कविता से करता अभिनंदन । श्रम व्रत सेवा त्याग और सत्य न्याय विश्वास, संयम शक्ति भक्ति तप, श्री विनय मुनि के पास । श्री विनय मुनि की महिमा भारी, धर्म के दिग्गज संस्थापक, मोक्ष मार्ग दिखलाये मनुज को, आप अध्यापकों के अध्यापक । धर्म ध्यान से धन्य हुए, ऊटी में रहने वाले, जय जैन धर्म, जय महावीर, ऊटी में सभी कहने वाले । कोटि कोटि वंदन करूँ, धन्य बने सब आज, आप जगत के आराध्य गुरु है, हे विनयमुनि महाराज । रचयिता : वि. नारायण स्वामी मैनेजर जैन भवन, अग्रहारम, चैन्नै - 4 - ३ सन् २००२
SR No.002325
Book TitleVinay Bodhi Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaymuni
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sangh
Publication Year2014
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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