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सहा
319. कर्म और आत्मा (दुध पानी की तरह) एक | 333. एक समय में बंध होने वाले कर्म की मात्रा मेक होने को बंध तत्व कहते है।
अनंतानंत परमाणुओं के बने स्कंध रुप होती 320. पाप, पुण्य और आश्रव, ये सभी तत्व
है। धर्मात्मा बनने का अभिप्राय है, कषायों निश्चय दृष्टि से बंध में ही आते है।
का मंदीकरण, विफलीकरण तथा वीतरागता
को प्राप्त करना, ये ही जैन साधना का 321. उदय भी उसी कर्म का होता है, जिसका
सार है। पहले बंध हुआ है।
334. साधक का प्रधान कार्य ये है कि वह बंध322. जीवात्मा उदय भावों में नये मोहनीय कर्म
सिद्धान्तों को गहराई से समझे, जागृत का बंध कर लेता है, यही जीव की सबसे
आत्मा के कर्मबंध मंद होते हैं, या कर्मबन्ध बड़ी भूल है।
नहीं होते हैं। 323. सूक्ष्म कार्मण वर्गणा (समुह) का आत्मा से
335. ज्ञानावरणीय कर्म 6 प्रकार से बंधता है जुड़ना ही बंध' है।
1. ज्ञान का विरोध 2. ज्ञानी का नाम छिपाना 324. बांधो या मत बांधो, तुम हो स्वाधीन।
3. अन्तराय 4. द्वेष 5. आसातना 6. कर्म बांधकर (बंध) आत्मा, बनती कर्माधीन।।
वितण्डावाद से बंधता है। 325. जीवस्य कर्म पुद्गल संक्लेष जीवको कर्म
336. ज्ञानावरणीय के समान दर्शना वरणीय कर्म पुदगल से संक्लेषः प्राप्त होता है, सकषाय भी 6 प्रकार से बंधता है। अवस्था में आश्रव निमित्त से कार्मण वर्गणा
337. वेदनीय कर्म 22 (10+12) से बंधता है। का आत्मा प्रदेशों के साथ सबन्ध होता है, जुड़ता है, उसे बंध कहते है।
338. “सच्चा ज्ञान" नव तत्वों का ज्ञान ही है। 326. बंध के 4 प्रकार = 1. प्रकृति, 2. स्थिति,
339. मोहनीय कर्म 6 प्रकार से बंधता है : 1. 3. अनुभाग और 4. प्रदेश बंध।
तीव्र क्रोध 2. तीव्र मान 3. तीव्र माया 4.
तीव्र लोभ 5. तीव्र दर्शन मोह 6. तीव्र चारित्र 327. प्रकृति = 8 कर्मो के भिन्न भिन्न स्वभाव |
मोहा 328. स्थिति = 8 कर्मो की भिन्न - भिन्न काल
340. आयुष्य कर्म 16 प्रकार से बंधता है। मर्यादा।
341. शुभ नाम कमन, वचन, काया के सरलता 329. अनुभाग = कर्मो के भिन्न - भिन्न रस ।।
व वितण्डावाद नहीं करने से बंधता है, 330. प्रदेश = कर्मो के तादाद (मात्रा) को प्रदेश
अशुभ नाम कर्म के लिए ये 4 उल्टे बोल कहते है।
कहना। 331. प्रकृति और प्रदेश - ये दोनों योग से होते |
342. नीच गोत्र का बंध 8 प्रकार से बंधता है
1. जाति मद करने से, 2. कुल मद करने - 332. स्थिति और अनुभाग - ये दोनों कषाय से
से, 3. बल मद करने से, 4. रुप मद होते है।
करने से, 5. तप मद करने से, 6. श्रुत