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________________ भाग-5) अनुक्रमणिका 1. समाधि की डगर 2. अच्छी बातें 3. माँ-बाप 4.रुको एक मिनिट देखो 5. सत्रह तरह के मुर्ख 6. पशुओं से 20 गुण सीखने चाहिए 7. थोड़ा सा स्वीट 8. सफलता के सात सूत्र 9. कुछ हितकारी 10. एक एक सूत्र की कीमत 25000 डालर 11. नीति के अनमोल बोल 12. आगम के अनमोल मोती 13. सद्गुणों की सौरभ 14. विदाई स्तवन “ऊटी (ऊटकमंड-तमिलनाडु) के वासियों ने जैन समाज में एक नया इतिहास रचा" नीलगिरि की पहाड़ी क्षेत्रों का ऊटी में राजस्थानी जैन स्थानकवासी के लगभग ५० घर है। सन् २००२ में प.पू गुरुदेव आचार्य श्रीश्री १००८ तपस्वीराज चंपालाल जी म.सा के शिष्य श्री विनयमुनिजी “खींचन" “शिविराचार्य” ने चातुर्मास किया। चातुर्मास के प्रारम्भ दिन से अन्तिम दिन तक अट्ठाइ तप या बड़ी तपस्या चालू रही थी। कुल १२६ बड़े तप हुए (अट्ठाइ व अट्ठाइ से ऊपर के तप)। सम्पूर्ण जैन समाज में एक नया इतिहास ऊटी वासियों ने रचा था। सभी ऊटी वासियों को हम सभी भावभीना वंदन-अभिनंदन करते है। एक नया रिकार्ड - दीपावली के बाद २३ अट्ठाइयां हुई। ऊटी वालों ने असंभव को संभव कर दिखाया। सभी ऊटी वासी साधुवाद के पात्र है। एक अद्भुत साहस : __ पू. विनयमुनिजी म.सा “खींचन" ने रायपुर (२३ नवम्बर सन् १९९८) में ही सुदूर दक्षिण भारत के विश्व प्रसिद्ध नगर बेंगलोर के भाग्यशाली क्षेत्र अलसूर हेतु सन् १९९९ का चातुर्मास खोलकर अद्भुत साहसिक घोषणा की। उग्र विहार यात्रा में सुगम-दुर्गम क्षेत्रों में निडरता से विचरण करते हुए, परीषहों को समता से सहते हुए करीब १७०० कि.मी की दूरी तय कर आपने अलसुर, बेंगलोर में अपना पहला यशस्वी चातुर्मास किया था। ... मंत्री दि. २८-११-२००२ एल. धनराज टाटिया संघ मन्त्री, ऊटी
SR No.002325
Book TitleVinay Bodhi Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaymuni
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sangh
Publication Year2014
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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