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चित्रांकन सम्पूर्णा आदि
ऊटी
शिविराचार्य प.प.श्री विनय मुनिजी म.सा. "खीचन" का चातुर्मास सन् 2006 मणिबेन कीर्तिलाल
मेहता आराधना भवन, कोयम्बतुर
पाप कर्मो का फल संयम से जीओ और जीने दो ।
आद्य संग्रह सृष्टि : श्री सुत्र विनय स्वाध्याय मंडल, दिल्ली संपर्क : ०११-२२५८४५२७
मम्मी, मम्मी,
चुप हो जा बेटे । इन __पड़ोसियों ने पटाखों की
पूरी लड़ी छुडायी, मेरे 7 नन्हे की डर के मारे (धिम्धी बँध गयी।
बचाओ.बचाओ
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[पटाखे : नाश-नाश भयंकर विनाश)
असंयम से बढ़कर कोई बड़ा शस्त्र नही है ।
हाय ! इन पटाखों के धमाके से तो मेरा गर्भ
ही गिर गया।
पटाखों से निकलने वाले ) विषेले धुएसे फेफडे
-संबंधी तथा (कैंसर जैसे भयंकर रोग
होते है।
इन बच्चों को कौन समझाये, इन पटाखों के धुएँ से खाँस खाँस कर मेरी पसलियाँ
दर्द कर रही है। * पटाखों के द्वारा बड़े-बड़े अग्निकांड हो जाते है, जिससे देश को करोड़ो अरबो रुपयों का
नुकसान उठाना पड़ता है। क्या यही कर्तव्य है हमारा देश के प्रति ??? * पटाखों के कारण कई झोपडियाँजल जाती है तथा गरीब लोग घर से बेघर असहाय होजाते है। *हमारे द्वारा उपयोग की जानेवाली आतिशबाजी के कारण पर्यावरण दुषित होता है
तथा कह लोग बहरे हो जाते है, कई लोग श्वास, दम के रोगी हो जाते है । क्या यही हमारी
संस्कृति है ? *हमारी खुशी की अभिव्यक्ति दूसरे जीवों की जीवनलीला समाप्त कर दे तथा स्वयं की
परिवार, समाज, देशवधर्म की जिसमें हानि हो, क्या उचित है ??? फटाखे बंद करे। *पटाखों केधमाखों से लाखो पक्षियों के गर्भ गिर जाते है। *दीपावली के दिन प्रभु महावीर स्वामी को मोक्ष प्राप्त हुआ था तथा उन्होंने हमें उपदेश दिया
धा संयमसेजीओ और जीने दो। * विचार कीजिये। आज तक हम हजारों-लाखों रुपयों की होली पटाखों के माध्यम से जला
युके हैं। सोचिये वही पैसा हम यदि इस दिपावली के शुभ प्रसंग पर अपने स्वधर्मी, गरीब व बेसहारा भाईयों पर खर्च करें, उन्हें मिठाइयाँ बाँटे, नये कपड़े दिलवाये तो उनकी दुआएँ आपको लाभकारी होगी।
संयम से बढ़कर कोई आत्म कल्याण का साधन नही है ।
बचाओ, बचाओ। पटाखों ने हमारे घर को आग लगादी, हमें बचाओ. हमें बाहर निकालो।)
पटाखे
संयम ही सुख की खान है।