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रात्रि- भोजन के नुकसान
नोट : प्रत्येक जैनीको रात्रि भोजन त्याग करना चाहिए । जैन धर्म की प्रथम पहचान-रात्रि भोजन त्याग है।
जूं से जलोदर रोग की उत्पति
भंवरी खाने से उल्टी (वमन)
चींटी खाने से बुद्धि मंदता
बिच्छु से तालु-भंग
मकड़ी खाने से कुष्ट रोग
छिपकली से गंभीर स्थिति
मच्छर से ज्वर-डेंगु सर्प विष से मलेरिया
हैजा
मृत्यु
Latrine
बाल खाने से स्वर भंग
तिर्यञ्च गति
जहरीला पदार्थ खाने से उल्टी-दस्त
नरक
गति
चित्रांकन सम्पूर्णा आदि
ऊटी
शिविराचार्य प.पू.श्री विनय मुनिजी म.सा. "खीचन" का चातुर्मास सन् 2006 मणिबेन कीर्तिलाल मेहता आराधना भवन, कोयम्बतुर
आद्य संग्रह सृष्टि: श्री सुत्र विनय स्वाध्याय मंडल, दिल्ली
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