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( अमृत कर्णिकाएँ :- )
धैर्य, आपका पिता है।
क्षमा, आपकी माता है। मौत कोई घटना नहीं, प्रक्रिया है ।
अप्रमाद,आपका मित्र है। "इसे स्वीकार करना"- महाधर्म है ।।
मोक्ष, रुचि आपकी मौसी है। श्रवण नयन नासिका सबहीं के एक ठौर ।
ज्ञान, आपका सुपुत्र है। कहबो, सुनबो, समझबो, ज्ञानी को कुछ और ।। करुणा, आपकी बेटी है। सबसे बड़ा कौन ? - आकाश |
सुमति, आपकी पुत्रवधु है । सबसे श्रेष्ठ कौन ? - शील ।
समता, आपकी पत्नी है। सबसे गतिशील कौन ? - विचार |
उद्यम, आपका दास है।
विवेक, आपका भाई है। सबसे कठिन क्या ? आत्मज्ञान (स्वयं को जानना)
विश्व का सार क्या ? धर्म | घंटी बजाने पर घर खुलता है ।
धर्म धर्म का सार ज्ञान. ज्ञान का सार उपदेश बजाने | देने पर दिल खुलता है।
संयम, संयम का सार मोक्ष । . टाइमसर रिटायर्ड होना आ गया तो,
9) टी.वी देखकर मोटे हो जाइए और जल्दी जिन्दगी में कभी - टायर्ड नहीं होगा ।
मौत के मुँह में चले जाइए । (सटीक बाण) सीमित रखने वाला, सीमित खाने वाला और | 10) अनंत को अनंत से जीता जा सकता है । सीमित बोलने वाला कभी परेशान नहीं होता। 11) जगत सु जितियाँ और पेट सु हारियाँ । 1) जब हम सबकी बात नहीं मानते तो फिर 12) ऐसे मित्र से बचो, जो मुँह का मीठा हो दूसरा कोई हमारी बात न मानें तो नाराज
और पीठ पीछे बुराई करता हो । नहीं होना चाहिए।
__13) याद रखो जो धन इकट्ठा कर रहे हो, वह 2) कम खाने से ऊनोदरी तप होता है।
भोग सकोगे या नहीं परन्तु धर्म तो निश्चित 3) गम खाने से क्षमा गुण खिलता है।
ही आपके साथ चलेगा। 4) नम जाने से सबका प्रिय बनता है। मानो न मानो यह हकीकत है, खुशी इन्सान
सुवाक्य की जरुरत है।
कर्म बलवान होते है, यह विचारधारा निम्न 6) अशांति चाहिए तो दुनिया से दोस्ती करो। | (कमजोर) मान्यता है । 7) ओ मुनिराज ! आपका कुटुम्ब महान है, आत्मा बलवान है यह विचारधारा उच्च क्योंकि?
| (दृढ़) मान्यता है, यही जैनों की मान्यता है।
जीवन की सर्वोच्च शैली का सूत्र है - न्यूनतम लेना,अधिकतम देना, श्रेष्ठतम जीना।