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________________ और झूठी साक्षी देने सम्बन्धी ये पाँच बड़े असत्य तो अवश्य ही छोड़ने चाहिये। ___ कन्या सम्बन्धी--कन्या छोटी हो तो बड़ा कहना, बड़ी हो तो छोटी कहना, शरीर में किसी प्रकार की कमी होने पर भी बिना कमी वाली कहना। इस प्रकार असत्य कह कर विवाह करने से उसकी सारी जिन्दगी क्लेश में व्यतीत होती है, कन्या के उपलक्षण से किसी भी मनुष्य सम्बन्धी झूठ नहीं बोलना । गाय सम्बन्धी--गाय के सम्बन्ध में झूठ न बोलना और उपलक्षण से सभी जानवरों के बारे में समझ लेना चाहिये। जमीन सम्बन्धी-जमीन दूसरे की हो और उसे अपनी कहना आदि, जमीन सम्बन्धी असत्य न बोलना। न्यास सौंपना-प्रामाणिक मनुष्य समझकर किसी ने बिना लिखा-पढ़ी के अथवा साक्षी के कोई वस्तु अपने यहाँ रखी हो और यदि रखने वाले की मृत्यु हो जाय और उसके सगे सम्बन्धी को उसका पता न हो, तब भी उसे छिपाना या सौंपना नहीं वरन् वह रकम उसके मालिक के पास पहँचाना अथवा मरने वाले के नाम पर उसे अच्छे कार्य में खर्च कर देना चाहिये । झूठी गवाही न देना--प्रामाणिक मनुष्य जानकर किसी ने अपने को गवाह बनाया हो तब, अपने सम्बन्ध में हो या दूसरे के सम्बन्ध में हो, किसी तरह लालच में फंसे बिना सत्य कहना चाहिये अर्थात् झूठी गवाही नहीं देनी चाहिये। ये पाँच बड़े असत्य हैं। इनका त्याग करना यह गृहस्थों का दूसरा व्रत कहलाता है। श्रावकवत दर्पण-११
SR No.002324
Book TitleShravakvrat Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKundakundacharya
PublisherSwadhyaya Sangh
Publication Year1988
Total Pages52
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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