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________________ है या नष्ट हुई है। इन योनियों के विचार द्वारा किसी भी व्यक्ति की मनःस्थित विचारधारा का पता सहज में लगाया जा सकता है। इस ग्रन्थ में मूक प्रश्नों के अनन्तर मुष्टिका प्रश्नों का विचार किया है। यदि प्रश्नाक्षरों में पहले के दो स्वर आलिंगित हों और तृतीय स्वर अभिधूसित हो तो मुट्ठी में श्वेत रंग की वस्तु; पूर्व के दो स्वर अभिधूमित हों और तृतीय स्वर दग्ध हो तो पीले रंग की वस्तु; पूर्व के दो स्वर दग्ध और तृतीय आलिंगित हो तो रक्त-श्याम वर्ण की वस्तु; प्रथम स्वर दग्ध, द्वितीय आलिंगित और तृतीय अभिधूमित हो तो श्याम-श्वेत वर्ण की वस्तु; प्रथम आलिंगित, द्वितीय दग्ध और तृतीय अभिधूमित हो तो काले रंग की वस्तु एवं प्रथम दग्ध द्वितीय अभिधुमित और तृतीय आलिंगित स्वर हो तो मुट्ठी में हरे रंग की वस्तु समझनी चाहिए। यदि पृच्छक के प्रश्नाक्षरों में प्रथम स्वर अभिधूमित, द्वितीय आलिंगित और तृतीय दग्ध हो तो विचित्र वर्ण की वस्तु; तीनों स्वर आलिंगित हों तो कृष्ण वर्ण की विचित्र वस्तु; तीनों दग्ध हों तो नील वर्ण की वस्तु और तीनों अभिधूमित स्वर हों तो कांचन वर्ण की वस्तु समझनी चाहिए। .. लाभालाभ सम्बन्धी प्रश्नों का विचार करते हुए कहा है कि प्रश्नाक्षरों में आलिंगित-आ इ ए ओ मात्राओं के होने पर शीघ्र अधिक लाभ; अभिधूमित-आ ई ऐ औ मात्राओं के होने पर अल्प लाभ एवं दग्ध-उ ऊ अं अः मात्राओं के होने पर अलाभ एवं हानि होती है। उ ऊ अं अः इन चार मात्राओं से संयुक्त क ग ङ च ज ञ ट ड ण त द न प ब म य ल श स ये प्रश्नाक्षर हों तो बहुत लाभ होता है। आ ई ऐ औ मात्राओं से संयुक्त क ग ङ च ज ञ ट ड ण त द न प ब म य ल श स प्रश्नाक्षरों के होने पर अल्प लाभ होता है। अ इ ए ओ मात्राओं से संयुक्त उपर्युक्त प्रश्नाक्षरों के होने पर कष्ट द्वारा अल्पलाभ होता है। अ आ इ ए ओ अः क ख ग घ च छ ज झ ट ठ ड ढ यश ह प्रश्नाक्षर हों तो जीवलाभ और रुपया, पैसा, सोना, चाँदी, मोती, माणिक्य आदि का लाभ होता है। ई ऐ औ ङञ ण न म ल र ष प्रश्नाक्षर हों तो लकड़ी, वृक्ष, कुरसी, टेबुल, पलंग आदि वस्तुओं का लाभ होता है। शुभाशुभ प्रश्न प्रकरण में प्रधानतया रोगी के स्वास्थ्य लाभ एवं उसकी आयु का विचार किया गया है। प्रश्नवाक्य में आद्य वर्ण आलिंगित मात्रा से युक्त हो तो रोगी का रोग यत्नसाध्य, अभिधूमित मात्रा से युक्त हो तो कष्टसाध्य और दग्धमात्रा से युक्त हो तो मृत्यु फल समझना चाहिए। पृच्छक के प्रश्नाक्षरों में आद्य वर्ण आ ई ऐ औ मात्राओं से संयुक्ताक्षर हों तो पृच्छक जिसके सम्बन्ध में पूछता है उसकी दीर्घायु कहनी चाहिए। आ ई ऐ औ इन मात्राओं से युक्त क ग ङ च ज ञ ट ड ण त द न प ब म य ल श स वर्गों में से कोई भी वर्ण प्रश्नवाक्य का आद्यक्षर हो तो लम्बी बीमारी भोगने के बाद रोगी स्वास्थ्यलाभ करता है। इस प्रकार शुभाशुभ प्रकरण में विस्तार से स्वास्थ्य, अस्वास्थ्य, जीवन-मरण का विचार किया गया है। प्रस्तुत ग्रन्थ का महत्त्वपूर्ण प्रकरण नष्ट-जन्मपत्र बनाने का है। इसमें प्रश्नाक्षरों पर से ही जन्ममास, पक्ष, तिथि और संवत् आदि का आनयन किया गया है। मासानयन करते ४८ : केवलज्ञानप्रश्नचूडामणि
SR No.002323
Book TitleKevalgyan Prashna Chudamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages226
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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