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परिशिष्ट-२
जन्मपत्री बनाने की विधि
जन्मपत्री का सारा गणित इष्टकाल पर चलता है । अतः पहले इष्टकाल बनाने के नियम द्रिये जाते हैं। सूर्योदय से लेकर जन्म समय तक के काल को इष्टकाल कहते हैं । इसके बनाने के लिए निम्न पाँच नियम हैं
१. सूर्योदय से लेकर १२ बजे दिन के भीतर का जन्म हो तो जन्म समय और सूर्योदय काल का अन्तर कर शेष को ढाई गुना करने से घट्यादिरूप होता है ।
उदाहरण - वि० सं० २००३ फाल्गुन सुदी ७, गुरुवार की प्रातःकाल ६ । ३० पर किसी का जन्म हुआ है। इस नियम के अनुसार इष्टकाल बनाया तो -
६ । ३० जन्म समय में से
६ । १६ सूर्योदय घटाया जो पंचांग में लिखा है ।
३।१४ इसे ढाई गुना किया तो ३ = ;
६७
× 2 = = ८ १३
६ ८ १५ अर्थात् ८ घटी ५ फल इष्टकाल हुआ ।
२. १२ बजे दिन से लेकर सूर्यास्त के अन्दर का जन्म हो तो जन्म समय और सूर्यास्तकाल का अन्तर कर शेष को ढाई गुना कर दिनमान से घटा देने से इष्टकाल होता
है।
उदाहरण - वि० सं० २००३ फाल्गुनी सुदी ७, गुरुवार को २ । ३० दिन का जन्म है । अतः ५ ।४४ सूर्यास्त में से
२ । ३० जन्म समय को घटाया
६०
३।१४ इसका सजातीय रूप ३ २८ । ३८ दिनमान में ८५ आगत फल को घंटाया
२० । ३३ अर्थात् २० घटी ३३ पल इष्टकाल हुआ ।
३. सूर्यास्त से लेकर १२ बजे रात के भीतर का जन्म हो तो जन्म समय और सूर्यास्त
= १२ = ८ १२ × ६
= ८१५
परिशिष्ट - २ : १८७