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जेवर बनवाने का मुहूर्त व चक्र . रेवती, अश्विनी, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, मृगशिरा, पुष्य, पुनर्वसु, अनुराधा, हस्त, चित्रा, उत्तराभाद्रपद, उत्तराषाढ़ा, उत्तराफाल्गुनी, स्वाति, रोहिणी और त्रिपुष्कर योग का नक्षत्र तथा शुभ वारों में जेवर बनवाना शुभ है।
| रेवती, अश्विनी, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, मृगशिरा, पुष्य, पुनर्वसु, अनुराधा, नक्षत्र |
| हस्त, चित्रा, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, स्वाति, रोहिणी वार | सोम, बुध, गुरु, शुक्र तिथि | २।३।५।७।८।१०।११।१२।१३।१५
नमक बनाने का मुहूर्त व चक्र भरणी, रोहिणी, श्रवण-इन नक्षत्रों में शनिवार को नमक बनाना शुभ है। नक्षत्र | भरणी, रोहिणी, श्रवण। मतान्तर से-अश्विनी, पुष्य, हस्त वार | | शनिवार। मतान्तर से-रवि, मंगल, बुध तिथि । १।२।३।४।५।७।८।६।१०।११।१३
- राजा या मन्त्री से मिलने का मुहूर्त व चक्र श्रवण, धनिष्ठा, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, उत्तराफाल्गुनी, मृगशिरा, पुष्य, अनुराधा, रोहिणी, रेवती, अश्विनी, चित्रा, स्वाति-इन नक्षत्रों में और रवि, सोम, बुध, गुरु, शुक्र-इन वारों में राजा या मन्त्री से मिलना शुभ है।
श्रवण, धनिष्ठा, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, उत्तराफाल्गुनी, मृगशिरा, नक्षत्र
पुष्य, अनुराधा, रोहिणी, रेवती, अश्विनी, चित्रा, स्वाति वार | रवि, सोम, बुध, गुरु, शुक्र तिथि | २३५७।११।१३
बगीचा लगाने का मुहूर्त व चक्र शतभिषा, विशाखा, मूल, रेवती, चित्रा, अनुराधा, मृगशिरा, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, त्तराभाद्रपद, रोहिणी, हस्त, अश्विनी, पुष्य-इन नक्षत्रों में तथा शुक्र, सोम, बुध, गुरु-इन परों में बगीचा लगाना शुभ है।
परिशिष्ट-१ : १७६