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जैनों का संक्षिप्त इतिहास / 26
निर्मित थे। इसमें एक मंदिर पार्श्वनाथ का है, जिसकी तुलना इसी स्थान के सुप्रसिद्ध कन्द महादेव के मंदिर से की जाती है। दूसरा समूह झांसी जिले के देवगढ़ में हैं 31 मंदिरों का जिनमें हजार से अधिक प्रतिमाऐं हैं उनमें से एक का वर्णन "भारत की धरती पर निर्मित होने वाली सर्वश्रेष्ठ कलाकृति" के रूप में किया जाता है ।
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इस महान ऐतिहासिक विरासत से न केवल हम समस्त जैन अपने एकता सूत्र खोजें बल्कि हृदय मंथन करें कि हम महावीर के कितने समीप हैं ? क्या हम उनके सच्चे अनुयायी हैं या गहराई में कही अवांछनीय उत्तरीय / वस्त्र गोशालक की तरह हैं, जो सदैव महावीर के साथ रहते हुए उन्हीं का विरोध करता था ? हम अपने जीवन में महावीर के सिद्धान्तों का पालन कहाँ तक करते हैं? जैन धर्म के सिद्धान्तों में दृढ़ आस्था एवं जीवन में उनका आचरण करने पर ही हम इस महान् प्राग् - ऐतिहासिक जैन दर्शन व संस्कृति का प्रसाद समस्त संत्रस्त मानवजाति में वितरित करने के सुपात्र बन पायेंगे।
संदर्भ ग्रंथों की सूची -
1. आधार ग्रंथ - जैनों का इतिहास - लेखक डॉ. असीम कुमार
राय ।
2. अनुत्तर महावीर - 3 भाग - श्री वीरेन्द्र कुमार जैन ।
3. जैन दर्शन स्मृतिमार्ग - पूज्य मुनि दिव्य रत्न एवं विमल बोधि विजय जी ।
4. जैन साहित्य श्वेताम्बर दिगम्बर - डॉ रमेश चन्द्र राय ।