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________________ 23 / जैनों का संक्षिप्त इतिहास, दर्शन, व्यवहार एवं वैज्ञानिक आधार केवली हुए हैं। बाद में आचार्यों में विष्णुदेव, अपराजित, और गोवर्धन हैं। श्रवणबेलगोला की सूची ईस्वी सन् 1600 के अनुसार दिगम्बरों के अंतिम आचार्य, जिन्हें अंगों का ( आगमों का ) थोड़ा बहुत भी ज्ञान था, महावीर निर्वाण के 653 वर्ष बाद स्वर्गवासी हो गये । भद्रबाहु द्वितीय उन आचार्यों में से हैं जो महावीर निर्वाण के 515 वर्ष बाद स्वर्गवासी हुए। वे दक्षिणी भारत के थे । दिगम्बर महान आचार्य कुंदकुंद भी दक्षिण भारत के थे और वे स्वयं को भद्रबाहु द्वितीय का शिष्य बताते थे । वे ही दक्षिण में जैन धर्म को ले जाने वाले थे। वे बी.सी. 12 में स्वर्ग सिधार गये । भद्रबाहु द्वितीय के शिष्यों में गुप्तीगुप्त, माघनन्दी प्रथम, जिनचन्द्र प्रथम एवं कुन्दकुन्द थे जो एक के बाद एक आचार्य बने । भद्रबाहु प्रथम अंतिम श्रुतकेवली थे। उनके बाद आचार्य दशपूर्वी अर्थात् ग्यारह अंग और दसपूर्वी के जानकार थे। उनके नाम विशाखा, प्रोष्ठिल, क्षत्रिय, जयसेन, नागसेन, सिद्धार्थ श्रुतसेन, विजय व बुद्धिलिंग, देवप्रथम, घरसेन हैं। घरसेन ऐसे मुनि हैं जिन्हें महावीर के पूर्व से चले आने वाले पूर्वों के अंश का ज्ञान था जिसे उन्होंने अपने शिष्य पुष्पदंत और भूत बलि को दिया । इनमें कुछ को दिव्यदृष्टि - अष्टांग महानिमित्ता विद्या थी, जिसके आधार पर भद्रबाहु द्वितीय ने उज्जैयनी में 12 वर्ष अकाल पड़ने की पूर्व घोषणा कर दी थी । श्रुतकेवली न रहने पर तथा दिगम्बर मतानुसार गणधरों का श्रुतज्ञान अधिकांश विलोपित हो जाने पर भद्रबाहु द्वितीय के शिष्य भूतबलि एवं पुष्पदत्त ने "षटखण्डागम' की रचना की । आचार्य कुन्दकुन्द ने 84 ग्रंथों की रचना की। उन्होंने प्राकृत भाषा में लिखा है जो मथुरा क्षेत्र की भाषा थी अर्थात् दक्षिण में भी जैन विद्वान अनेक थे। उन्हें गणधर के समान पूजा जाता था । श्रवण बेलगोला के शिलालेख ई. 1368 में लिखा है कि जब कुंदकुंद चलते थे उनके पाँव धरती से चार अंगुल ऊपर रहते थे। उनके नाम ग्रीवा, एलाचार्य, गृद्धपिच्छी, पदमानन्दी आदि थे।
SR No.002322
Book TitleJaino Ka Itihas Darshan Vyavahar Evam Vaignanik Adhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Jain, Santosh Jain, Tara Jain
PublisherRajasthani Granthagar
Publication Year2013
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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