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कर्मबन्धन के कारण एवं क्षय तत्वार्थ के आलोक में/168
MEANING:- The pain karma is bound either by causing pain, grief, torment to others, or indluging in cries, injuries, weeping and wailing to onself including harm to vitalities of senses, mind, body and speech or life and breathings or jeopardizing these of others. The surgeon of course does not bind it acting altruistically or ascetics undertaking penances. भूतव्रत्यनुकम्पा दानं सरागसंयमादियोगः क्षान्तिः शैचमितिसवेद्यस्य
(6:13,तत्वार्थ सूत्र) अर्थ:- चारो गतियों के जीवों पर अनुकम्पा भाव रखने, व्रतियों, यति-मुनियों, सर्वत्यागी पुरूषों पर विशेष अनुकम्पा भाव प्रतियो, यति मानियो संवत्याचा पुरवा से, दान दक्षिणा करने से, पाँचों इन्द्रियाँ एवं मन पर निग्रह करने से, छ: काय के जीवों की विराधना न करने से, बिनाव्रत के भी, संयमित जीवन (अकामनिर्जरा), आसक्तियुक्त संयम, अपवचन सुनकर भी क्रोध न करने से शांति मिलती हैं । निर्दोष व्यवहार, लोभ छोड़ने से जैसे स्नान के द्वारा मैल धोने से (शोच या पवित्र जीवन कहलाता है) इन कार्यों से सातावेदनीय अर्थात सांसारिक सुख शांति मिलते हैं, परिवार एवं समाज का भी कल्याण होता है।
bhutā vratyanukampā dānam şarāga samyamādi yogha ksantih saucamiti sadvedyasya
(6.13, Tattavarth Sutra) MEANING :- Compassion to all living beings, especially by charity and alms to asceties, undertaking penances, practising forbearance, and not killing or injuring any one of all six major kinds of beings, living a life of abstinence, without even undertaking vows, of observing restraint, even with attachment (unconscious