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कर्मबन्धन के कारण एवं क्षय तत्वार्थ के आलोक में / 160
अर्थः- कर्मों के आने के द्वार को आस्रव कहते हैं । निम्न तीन प्रकार का योग ही आस्रव है। आत्मा में कर्म आने में योग कारण है।
sa äsraväh
(6.2, Tattavarth Sutra)
MEANING: The activity of Karmas which get bound, is called inflow of Karmas.
शुभः पुण्यस्य
(6:3, तत्वार्थ सूत्र)
अर्थः- शुभ योग पुण्य का आस्रव है। अर्हन्त भक्ति, जीवरक्षा, शुभ योग के उदाहरण हैं। जो आत्मा को पवित्र करें उसे पुण्य कहते हैं।
Subhah punyasya
(6.3, Tattavarth Sutra ). results in inflow of
MEANING :- Good action beneficient karmas or Punya.
अशुभः पापस्य
(6:4, तत्वार्थ सूत्र )
अर्थः- अशुभ योग, पाप का आस्रव है । जो आत्मा को अच्छे कार्यों से रोके, दूर करे उसे पाप कहते हैं। हिंसा, चौर्य, असंयम, मर्मवचन, परनिंदा, शत्रुताभाव आदि अशुभ योग के उदाहरण हैं ।
Ausbhah papasya
(6.4, Tattavarth Sutra )